आज ही के दिन बलिदान हुए थे स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती-मनीष पाण्डेय

अयोध्या। स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती जिनका आज बलिदान दिवस है, 1922 में गया अधिवेशन हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए को एक शांति दूत अब्दुल रशीद जिसकी पैरवी अपने आप को राष्ट्रपिता कहलाने वाले महात्मा गांधी द्वारा कि यह कहते हुए की गई थी।गांधी ने अपने भाषण में यह भी कहा,”… मैं इसलिए स्वामी जी की मृत्यु पर शोक नहीं मना सकता। हमें एक आदमी के अपराध के कारण पूरे समुदाय को अपराधी नहीं मानना चाहिए। मैं अब्दुल रशीद की ओर से वकालत करने की इच्छा रखता हूँ।“ उन्होंने आगे कहा कि “समाज सुधारक को तो ऐसी कीमत चुकानी ही पढ़ती है। स्वामी श्रद्धानन्द जी की हत्या में कुछ भी अनुपयुक्त नहीं है। “अब्दुल रशीद के धार्मिक उन्माद को दोषी न मानते हुये गांधी ने कहा कि “…ये हम पढ़े, अध-पढ़े लोग हैं जिन्होंने अब्दुल रशीद को उन्मादी बनाया। स्वामी जी की हत्या के पश्चात हमें आशा है कि उनका खून हमारे दोष को धो सकेगा, हृदय को निर्मल करेगा और मानव परिवार के इन दो शक्तिशाली विभाजन को मजबूत कर सकेगा।“ (यंग इण्डिया, 1926)।गांधी ने स्वामी श्रद्धानंद के हत्यारे अब्दुल रशीद को छोटा भाई कहते हुए यह कहा था कि राशिद मेरा भाई है और मैं बार बार यह कहूंगा। हत्या के लिए मैं उसे दोषी नहीं ठहराता। दोषी वह लोग हैं जो एक दूसरे के खिलाफ नफरत फैलाते हैं। उसकी कोई गलती नहीं है और ही उसे दोषी ठहराकर किसी का भला होगा।’  ऐसे में यह सवाल उठता है कि अगर गांधी की हत्या गोडसे  कर देते हैं, तो फिर उन्होंने बुरा क्या किया? एक उच्च कोटि के विचारक एक प्रसिद्ध अधिवक्ता परम हिंदुत्ववादी और आर्य समाजी स्वामी श्रद्धानंद को समस्त सनातन धर्मावलंबियों की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि शत शत नमन।