अस्त-व्यस्त जीवन शैली से हो रहे हैं रोग – प्रोफेसर जी एस शुक्ल

प्रयागराज।राज्यपाल सचिवालय के निर्देश पर अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में  विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह के निर्देशन में  आज स्वास्थ्य विज्ञान विद्या शाखा के निदेशक प्रो .जी एस शुक्ल का  “दीर्घायु जीवन के लिए योग” विषय पर तिलक सभागार में व्याख्यान हुआ। प्रो .जी एस शुक्ल ने मनुष्य के क्रमिक विकास के साथ शारीरिक मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव का वैज्ञानिक विवेचन करते हुए बताया कि आज  अस्त व्यस्त जीवनशैली के कारण शारीरिक रोग उत्पन्न हो रहे हैं। असंयमित आहार-विहार के कारण शरीर ही नहीं मन भी रोगों से ग्रस्त हो चुका है। प्रोफेसर शुक्ल  ने बताया कि स्वस्थ मन का होना हमारे स्वस्थ शरीर के लिए अत्यन्त आवश्यक है। उन्होंने बताया कि शिशु का बाल्यावस्था में माता के गर्भ से मानसिक विकास प्रारंभ हो जाता है। ऐसे में गर्भ संस्कार के द्वारा शिशु को स्वस्थ सुसंस्कृत समुन्नत बनाने के लिए हमारी प्राचीन सनातन संस्कृति में ऐसे उपाय चले आ रहे हैं।  योग जीवन के लिए वरदान की तरह है। स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ मन की आवश्यकता होती है। योग के विभिन्न आसनों प्राणायाम एवं मुद्राओं  के द्वारा गंभीर से गंभीर रोगों का उपचार करना संभव हो सकता है।  अध्यक्षता प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी एवं मंच संचालन डॉ मीरा पाल ने किया।कार्यक्रम का संयोजन अनुराग शुक्ला एवं निकेत सिंह ने किया। अमित कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।