नई दिल्ली। आर्थिक तंगी से जूझ रहे श्रीलंका में अब आवश्यक सेवाओं को छोड़कर बाकी किसी को ईंधन नहीं बेचा जाएगा। सरकार के एक प्रवक्ता ने इसकी घोषणा की है। खबरों के अनुसार, श्रीलंकाई सरकार के पास 9,000 टन डीजल और 6,000 टन पेट्रोल बचा है। वहीं श्रीलंका में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की लोकल यूनिट ने बताया है कि उसके पास 22,000 टन डीजल और 7,500 टन पेट्रोल बचा है। गौरतलब है कि श्रीलंका अपनी ट्रांसपोर्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिदिन 5,000 टन डीजल और 3,000 टन पेट्रोल का इस्तेमाल करता है। आईओसी श्रीलंका को उम्मीद है कि 13 जुलाई तक कुल 30,000 टन पेट्रोल और डीजल की शिपमेंट उसके पास पहुंच जाएगी। इसके अलावा श्रीलंकाई सरकार को कहीं से ईंधन की खेप की कोई उम्मीद नहीं है। देखा जाए तो श्रीलंकाई सरकार के स्टॉक में केवल 4-5 दिन का ईंधन बचा है। बताया जा रहा है कि यह ईंधन अस्पतालों को दिया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय ईंधन कंपनियों का कहना है कि वह श्रीलंका को स्थानीय बैंक की गारंटी के आधार पर ईंधन नहीं बेच सकती हैं। ऋणों का भुगतान नहीं कर पाने के कारण इन कंपनियों ने श्रीलंका को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। कंपनियों का कहना है कि वह श्रीलंका को ईंधन केवल अंतरराष्ट्रीय गारंटी पर ही देंगी। श्रीलंका के विद्युत प्राधिकरण ने कहा है कि वह ईंधन के आखिरी स्टॉक्स का इस्तेमाल कर रही है। श्रीलंका के पब्लिक यूटिलिटीज कमीशन के चेयरमैन जनका रतनायके के अनुसार देश में पावर कट 3-4 घंटे का ही रखे जाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन हालात को देखते हुए इसमें आगे बदलाव हो सकता है। श्रीलंका के उच्चायुक्त मिलिंडा मोरागोडा पेट्रोल और डीजल आपूर्ति तत्काल प्राप्त करने की संभावना पर हाल ही में भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी से बातचीत की। इस पर केंद्रीय मंत्री ने उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। बता दें कि भारत ने श्रीलंका को करीब 4 अरब डॉलर की आर्थिक मदद दी है। उधर अमेरिका ने भी श्रीलंका को वित्तीय प्रबंधन के लिए तकनीकी सहायता मुहैया कराने का भरोसा दिया है।
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