लखनऊ |आजादी के अमृत महोत्सव, स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में देश के छोटे किसानों पर फोकस किया. उन्होंने उन किसानों की बात की, जिनकी आवाज नहीं उठ पाती. पीएम ने कहा कि देश के 80 प्रतिशत से ज्यादा किसान ऐसे हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है. घरों में होते बंटवारे की वजह से इसमें और कमी आती जा रही है. पहले जो देश में नीतियां बनीं, उनमें इन छोटे किसानों पर जितना ध्यान केंद्रित करना था, उतना नहीं किया गया. अब सरकार इन्हीं छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रही है. कृषि सुधार कर रही है.‘छोटा किसान-बने देश की शान’ ये सरकार का सपना है. आने वाले वर्षों में हमें देश के छोटे किसानों की सामूहिक शक्ति को और बढ़ाना होगा. उन्हें नई सुविधाएं देनी होंगी| प्रधानमंत्री के देश के किसानों के हाथ मजूबत करने की बानगी उनके द्वारा लिये गये केंद्रीय मंत्रीमंडल के फैसलों में भी दिखती है। गन्ना किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए, माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने चीनी सीजन 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 290 रुपये प्रति क्विंटल को स्वीकृति दे दी है। स्वीकृति के मुताबिक यह प्रत्येक 0.1% की वसूली में 10% से अधिक की वृद्धि हेतु, और एफआरपी में रिकवरी हेतु प्रत्येक 0.1% की कमी के लिए 2.90 रुपए प्रति क्विंटल का एक प्रीमियम प्रदान करते हुए 10% की मूल वसूली दर के लिए 290/- रुपये प्रति क्विंटल होगी। हालांकि, सरकार ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए यह भी निर्णय लिया है कि उन चीनी मिलों के मामले में कोई कटौती नहीं होगी जहां वसूली 9.5 फीसदी से कम है। ऐसे किसानों को गन्ने के लिए वर्तमान चीनी सीजन 2020-21 में 270.75 रुपये प्रति क्विंटल के स्थान पर आगामी चीनी सीजन 2021-22 में 275.50 रुपये प्रति क्विंटल मिलेंगे।बात अगर उतर प्रदेश की करें तो 2007-16 के बीच 95 हजार करोड़ रुपये का भुगतान हुआ था।जबकि पिछले 4 सालों में ही 1.42 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।इस सत्र में अब तक 82 %भुगतान हो चुका है।नए पेराई सत्र के पहले सौ फीसदी भुगतान कर दिया जायेगा.वेस्ट यूपी में 20 अक्टूबर,सेंट्रल यूपी में 25 अक्टूबर और पूर्वांचल में नवंबर के पहले सप्ताह में चीनी मिलें शुरु हो जाएंगी।पश्चिम के किसानों को बड़ी राहत देते हुये उतर प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि पराली जलाने को लेकर हुए सभी मुकदमें वापस लिये जायेंगे. कुछ क्षेत्रों में किसाने के बिजली बिल बकाए की बात भी सामने आई है ।सरकार का रुख है कि बिजली बिल बकाया होने के कारण एक भी किसान का कनेक्शन न काटा जाए।किसानों को सरकार की तरफ से आश्वस्त किया गया है कि बिजली बिल बकाए पर उन्हें ब्याज न देना पड़े,और एकमुश्त समाधान योजना की भी व्यवस्था हो. गन्ना किसानों की मांग को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘’साल 2010 से बकाया रहे अधिकांश गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है. अब सरकार गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी करने जा रही है’’| उत्तर प्रदेश में पानी के इंतजार में खेती को नुकसान ना हो इसलिए सरकार ने सिंचाई परियोजना से अगले साल तक 16.49 लाख हेक्टेयर अतरिक्त भूमि को सिंचित करने का फैसला लिया है. इससे करीब 40.56 लाख किसानों को लाभ पहुंचा है.जिसमें अधिकतम बुंदेलखंड के किसान है।उतर प्रदेश के लाखों लघु सीमांत किसानों का कर्ज माफ करने वाली उतर प्रदेश सरकार ने सिंचाई परियोजना में उन इलाकों तक पानी पुहंचाया जहां पानी ना होने से खेती को काफी नुकसान हो जाया करता था.इस परियोजना से सरयूर, उमरहा, रतौली, लखेरी, भावनी, मसगांव, चिल्ली, बड़वार झील और बबीना आदि क्षेत्रों के किसान को फायदा हुआ है. सिंचाई परियोजना से सभी क्षेत्रों पूर्वांचल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के किसान लाभान्वित हुये है. कम बारिश होने के कारण अक्सर सूखे की मार झेलने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र को ऐसी परियोजनाएं की जरूरत थी. रसिन बांध परियोजना (चित्रकूट), बंडई बांध परियोजना (ललितपुर) से किसान काफी खुश है. इनसे क्रमश: संबधित जिलों की 2290 और 3025 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि सिंचित हुई. जाखलौन पंप कैनाल (ललितपुर) के टॉप पर 2.50 क्षमता के सोलर प्लांट से बिजली का उत्पादन भी हो रहा है. आने वाले दिनों में बुंदेलखंड की चिल्ली, कुलपहाड़ और शहजाद जैसी परियोजनाएं प्रदेश के लिए मॉडल बनेंगी. इनको स्प्रिंकलर सिस्टम से जोड़ा जा रहा है. इनसे कम पानी में अधिक सिंचाई हो रही है और उपज बढ गयी है| केंद्र सरकार द्वारा एफआरपी का निर्धारण कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर और राज्य सरकारों एवं अन्य हितधारकों के परामर्श के बाद किया गया है।पिछले 3 चीनी सीजनों 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में, लगभग 6.2 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी), 38 एलएमटी और 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया है। वर्तमान चीनी सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में, 60 एलएमटी के निर्यात लक्ष्य के मुकाबले, लगभग 70 एलएमटी के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं र 23 अगस्त 2021 तक 55 एलएमटी से अधिक का वास्तविक रूप से देश से निर्यात किया गया है। चीनी के निर्यात से चीनी मिलों की तरलता में सुधार हुआ है जिससे वे किसानों का बकाया गन्ना मूल्य चुकाने में सक्षम हुई हैं।सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने को पेट्रोल के साथ मिश्रित इथेनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जो न केवल हरित ईंधन के रूप में कार्य करता है बल्कि कच्चे तेल के आयात के संदर्भ में विदेशी मुद्रा की बचत भी करता है। पिछले 2 चीनी सीजन 2018-19 और 2019-20 में, लगभग 3.37 एलएमटी और 9.26 एलएमटी चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित किया गया है। वर्तमान चीनी सीजन 2020-21 में 20 लाख मीट्रिक टन से अधिक को परिवर्तित किए जाने की संभावना है। आगामी चीनी सीजन 2021-22 में, लगभग 35 एलएमटी चीनी को इथेनॉल में बदले जाने का अनुमान है और 2024-25 तक लगभग 60 एलएमटी चीनी को इथेनॉल में बदलने का लक्ष्य है, जो अतिरिक्त गन्ने की समस्या के साथ-साथ विलंबित भुगतान का भी समाधान करेगा और इससे गन्ना किसानों को समय पर उनका भुगतान भी मिलेगा।पिछले तीन चीनी सीजनों में तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की बिक्री से चीनी मिलों/डिस्टिलरीज द्वारा 22,000 करोड़ रुपये के राजस्व का सृजन किया गया है। वर्तमान चीनी सीजन 2020-21 में चीनी मिलों को ओएमसी को इथेनॉल की बिक्री से लगभग 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो रहा है।पिछले चीनी सीजन 2019-20 में लगभग 75,845 करोड़ रुपये का गन्ना बकाया देय था, जिसमें से 75,703 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है और अब केवल 142 करोड़ रुपया बकाया हैं। हालांकि, वर्तमान चीनी सीजन 2020-21 में 90,959 करोड़ रुपए के गन्ना बकाया में से 23 अगस्त 2021 तक किसानों को 86,238 करोड़ रुपये की गन्ना बकाया धनराशि का भुगतान किया जा चुका है। गन्ने के निर्यात में वृद्धि और गन्ने से इथेनॉल बनाने की प्रक्रिया से किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान में तेजी आई है।केंद्र सरकार के केंद्र में समाहित है देश का किसान और उसी को समर्पित है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार । हाल के सरकारों के निर्णयों के बाद किसानों को नए बाजार और नए अवसर मिलेंगे और उन्हें प्रौद्योगिकी की मदद मिलेगी। देश का कोल्ड स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर आधुनिक हो जाएगा. सभी से कृषि क्षेत्र में अधिक निवेश होगा। इन सुधारों का अधिकतम लाभ छोटे और सीमांत किसानों को होगा जो सिर्फ खेती से अपना जीवन यापन करते हैं।
-सुन्दरम चौरसिया,मीडिया एवं संचार अधिकारी