इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह की उस टिप्पणी को खारिज कर दिया कि पाकिस्तानी वायु सेना चमन और स्पिन बोलडाक के सीमावर्ती इलाकों में तालिबानी आतंकवादियों की मदद कर रही है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने यहां एक बयान में कहा कि ऐसे बयान अफगान-स्वामित्व और अफगान-नेतृत्व वाले समाधान में अपनी भूमिका निभाने के पाकिस्तान के ईमानदार प्रयासों को कमजोर करते हैं। अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति सालेह ने गुरुवार को ट्वीट किया था, पाकिस्तानी वायु सेना ने अफगान सेना और वायुसेना को (एक) आधिकारिक चेतावनी दी है कि स्पिन बोलडाक इलाके से तालिबान को खदेड़ने के किसी भी कदम का सामना पाकिस्तान वायुसेना द्वारा किया जाएगा और उसे कुचला जाएगा। पाकिस्तानी वायु सेना कुछ इलाकों में तालिबान को हवाई मदद मुहैया करा रही है।बीते कुछ दिनों से कंधार के स्पिन बोलडाक कस्बे में तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों के बीच भीषण लड़ाई छिड़ी हुई है। तालिबानी आतंकवादियों ने हाल के सप्ताह में दर्जनों जिलों पर कब्जा कर लिया है और अब माना जा रहा है कि 11 सितंबर को अफगानिस्तान से अमेरिकी और पश्चिमी सैनिकों की पूर्व वापसी से पहले देश के करीब एक तिहाई हिस्से पर उनका नियंत्रण है। पाकिस्तान ने कहा कि उसने अपने चमन सेक्टर की सीमा से लगे इलाकों में हवाई अभियान चलाने के अफगान सरकार के अनुरोध को मान लिया है, बावजूद इसके कि यह जोखिम भरा है और सीमा के करीब इस तरह के अभियान की अनुमति नहीं देने के अंतरष्ट्रीय चलन के भी विपरीत है।विदेश कार्यालय ने कहा, पाकिस्तान ने अपने क्षेत्र में कार्रवाई करने की अफगान सरकार के अधिकार पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी…। उसने कहा कि पाकिस्तान ने पिछले हफ्ते अफगान नेशनल डिफेंस एंड सिक्योरिटी फोर्सेज (एएनडीएसएफ) के 40 कर्मियों को बचाया जो युद्ध क्षेत्र से भाग आए थे और उन्हें सम्मान व गरिमा के साथ वापस अफगानिस्तान भेजा जाएगा। विदेश कार्यालय ने कहा, हम अफगानिस्तान में शांति के लिये प्रतिबद्ध हैं और ध्यान भटकाए जाने के बावजूद इसके लिये प्रयास जारी रखेंगे। इस बीच एक अन्य ट्वीट में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के बयान को खारिज कर दिया। सालेह ने लिखा, पाकिस्तान के इनकार पर: पाकिस्तान 20 सालों से भी ज्यादा समय से क्वेटा शूरा के अस्तित्व या तालिब आतंकवादियों की अपनी जमीन पर मौजूदगी से इनकार करता रहा है। अफगान हो या विदेशी, जो इस चलन से अवगत हैं, वे वास्तव में जानते हैं कि मनाही वाला बयान एक पूर्व लिखित मसौदा है।
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