अब मुस्लिम समाज आज़ाद समाज पार्टी पर करे भरोसा-चंद्रशेखर

लखनऊ। चौक स्थित कन्वेंशन सेंटर में आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने मुस्लिम समुदाय से भावुक अपील करते हुए कहा कि ‘अब बार-बार ठगाए नहीं, मेरे साथ आइए।’ ‘मुस्लिम संवाद’ कार्यक्रम में भारी भीड़ उमड़ी, जिसका संयोजन डॉ. मोहम्मद आकिब ने किया था।

चंद्रशेखर ने कहा कि आज देश में अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमले हो रहे हैं। ‘वक्फ पर हमला केवल शुरुआत है, अगला नंबर जैन, क्रिश्चियन और दूसरे धर्मों का है। एक महीने तक सड़कों पर कांवड़ यात्रा चलती है तो कोई कुछ नहीं कहता, मगर ईद की नमाज के लिए सड़क पर एक कदम रखा जाए तो पुलिस तैनात हो जाती है।’उन्होंने कहा कि यह सिर्फ संवाद नहीं, बल्कि आंदोलन की शुरुआत है। उन्होंने लखनऊ की विडंबनाओं का उल्लेख करते हुए कहा, ‘कहा जाता है मुस्कुराइए, आप लखनऊ में हैं, लेकिन आज यहां मुस्कराने की नहीं, रोने की भी हालत नहीं है।’ चंद्रशेखर ने वादा किया कि उनकी पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में वक्फ सहित मुस्लिम समाज की तमाम समस्याओं को प्रमुखता से शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसे उतनी हिस्सेदारी’ के सिद्धांत पर अमल करते हुए टिकटों का वितरण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पंचायत चुनाव में भी यही फार्मूला लागू होगा और मुस्लिम सम्मेलन के बाद दलित और पिछड़े वर्गों के सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।

कार्यक्रम में चंद्रशेखर ने कहा कि देश में नकारात्मक राजनीति हावी है और यह देश को पीछे ले जा रही है। उन्होंने लोगों से अपील की कि ‘भाजपा को हराने में नहीं, आज़ाद समाज पार्टी को जिताने में ऊर्जा लगाएं।’ उन्होंने इटावा के कथावाचक के साथ हुई घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि सरकार के विरोध में खड़े सभी वर्गों पर शोषण हो रहा है—चाहे वह यादव, लोधी, कुर्मी, साहू हों या दलित और वंचित।
आजाद समाज पार्टी के प्रदेश सचिव आज़ाद अनिकेत ने भी मुस्लिम समुदाय की राजनीतिक और शैक्षिक पिछड़ेपन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कई राजनीतिक दल मुस्लिमों के वोट से सत्ता में तो आते हैं, लेकिन उन्हें अधिकार देने से पीछे हट जाते हैं। ‘आज़ाद समाज पार्टी मुस्लिम समुदाय को बराबरी का अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है,’ उन्होंने कहा।
कार्यक्रम में सूफी, धर्मगुरु, शिक्षक और दरगाहों से जुड़े प्रमुख लोग उपस्थित रहे। ‘मुस्लिम संवाद’ में मुस्लिम समाज के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर चर्चा की गई।

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