नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी विदेश यात्राओं में व्यस्त कार्यक्रम के दौरान उच्च स्तर की ऊर्जा कैसे बनाए रखते हैं इस बारे में जानने की उनके प्रशंसकों और शक्की लोगों दोनों में उत्सुकता बनी रहती है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उनकी तरकीब यह है कि वे अपने समय को एक के बाद एक व्यस्तताओं से इतना भर देते हैं कि किसी भी थकान के बारे में सोचने की उनके दिमाग को फुरसत ही न मिले।मोदी रविवार को अपनी तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा से लौटे हैं। सूत्रों ने बताया कि थकान को दूर रखते हुए व्यस्त गति से यात्रा करना उनके लिए कोई नई बात नहीं है।”जब वे 1990 के दशक में अमेरिका जाते थे, उस समय एक एयरलाइन भारी रियायती दरों पर मासिक यात्रा पास देती थी। इसका अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए, मोदी हमेशा रात में यात्रा करते थे क्योंकि इससे यह सुनिश्चित होता था कि वे होटलों पर कोई पैसा खर्च किये बिना अधिकांश स्थानों पर जा सकें। उनकी रातें हमेशा हवाईअड्डों और विमान में गुजरती थी।”सूत्रों के अनुसार जैसे ही प्रधान मंत्री उड़ान में कदम रखते हैं, वे अपने शरीर और नींद के चक्र को गंतव्य के समय क्षेत्र के अनुरूप ट्यून कर लेते हैं। इसका मतलब है कि भारत में रात होने पर भी वे सोएंगे नहीं अगर गंतव्य देश में दिन हो।वापस भारत लौटते समय भी वे यही काम करते हैं और अपने शरीर और नींद के चक्र को भारतीय समय के अनुसार ट्यून कर लेते हैं जिससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि जब वे दिन के समय लैंड करते हैं तो तरोताजा होते हैं और काम पर जाने के लिए तैयार होते हैं।सूत्रों ने कहा कि मोदी खूब पानी पीना भी सुनिश्चित करते हैं क्योंकि डॉक्टरों का सुझाव है कि विमान की हवा शरीर की नमी को सोख लेती है।संयुक्त राज्य अमेरिका की उनकी तीन दिवसीय यात्रा बैठकों से भरी हुई थी क्योंकि उन्होंने वहां बिताए लगभग 65 घंटों के दौरान 20 बैठकों में भाग लिया।उन्होंने अमेरिका से आने-जाने के रास्ते में भी अधिकारियों के साथ उड़ानों में चार लंबी बैठकें कीं।
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