अजय सेठ एवं डॉ. माइकल देवब्रत पात्र
भारत ने नीतिगत चुनौतियों से भरे कठिन वैश्विक वातावरण में ग्रूप ऑफ 20 (जी20) की अध्यक्षता ग्रहण की है। ‘बहु संकट (पॉलीक्राइसिस)’ परिदृश्य के कारण जी20, धीमी वैश्विक संवृद्धि और व्यापार से विपरीत परिस्थितियों , उच्च मुद्रास्फीति, आक्रामक मौद्रिक नीति सख्ती और संबंधित प्रभाव-विस्तार, भू-राजनीतिक तनावों, ऋण संकट, जलवायु परिवर्तन तथा सुस्त महामारी का सामना कर रहा है।वैश्वीकरण के ताने-बाने को प्रभावित करती केन्द्रापसारक शक्तियों के बीच, वैश्विक नीतिगत सहयोग को बढ़ावा देने में जी20 की भूमिका महत्वपूर्ण है। विश्व में क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के संदर्भ में तीसरी सबसे बड़ी और बाज़ार विनिमय दरों के संदर्भ में पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत की हिस्सेदारी, सांकेतिक तौर पर जी20 की जीडीपी में 3.6 प्रतिशत है और पीपीपी के तौर पर 8.2 प्रतिशत है। आईएमएफ़ का अनुमान है कि 2023 में भारत की जीडीपी 6.1 प्रतिशत तक बढ़ेगी, जोकि जी20 राष्ट्रों में सबसे अधिक होगा। भारत की जी20 अध्यक्षता की प्राथमिकताएं, जिम्मेदारी और महत्वाकांक्षा के बीच संतुलन की कल्पना करती हैं, एकता और परस्पर जुड़ाव की दृष्टि को समाहित करती है।डिजिटल प्रौद्योगिकियों में हमारी प्रगति तथा एक संपन्न फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र से प्राप्त हमारे अनुभव, हमें वित्तीय समावेशन को बढ़ाने, उत्पादकता और आर्थिक एकीकरण को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकी प्रयोग करने तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में विकासशील देशों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने में विशिष्ट स्थान प्रदान करता है। हमारा विश्वास है कि इन क्षेत्रों में, हमारी अध्यक्षता महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।भारत की जी20 अध्यक्षता का पहला वित्त ट्रेक (एफ़टी) कार्यक्रम- वित्त और केंद्रीय बैंक प्रतिनिधियों (एफ़सीबीडी) की बैठक- 13-15 दिसंबर 2022 के दौरान बेंगलुरु में आयोजित होना निर्धारित है। इस बैठक में, भारत की प्राथमिकताएँ और संबंधित प्रदेय के बारे में बताया जाएगा। एफटी में आठ कार्यधाराएँ (वर्कस्ट्रीम) हैं, जो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना, वैश्विक अर्थव्यवस्था, अवसंरचना निवेश, धारणीय वित्त, अंतर्राष्ट्रीय कराधान, स्वास्थ्य और वित्त, वित्तीय क्षेत्र के विनियामक संबंधी मामलों और वित्तीय समावेशन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। जी-20 की अध्यक्षता को स्वीकार करते हुए माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा: “ भारत की जी-20 प्राथमिकताओं को, न केवल हमारे जी-20 सहभागियों बल्कि वैश्विक दक्षिण में हमारे साथी यात्रियों के परामर्श से भी आकार दिया जाएगा, जिनकी आवाज अक्सर अनसुनी कर दी जाती है”। भारत की प्रमुख एफटी प्राथमिकताएं उनकी प्रतिबद्धता को कार्रवाई में बदल देती हैं। इनमें वैश्विक वित्तीय सुरक्षा जाल को मजबूत करना, वैश्विक ऋण भेद्यताओं का प्रबंधन करना, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा के समष्टिआर्थिक प्रभावों का आकलन करना और भावी धारणीय एवं आघात सहनीय शहरों का वित्तपोषण करना शामिल है। हम जलवायु कार्रवाई के लिए सामयिक और पर्याप्त वित्तीय संसाधन जुटाने का भी काम करेंगे, चूंकि अधिकांश जी20 देशों ने अपनी निवल-शून्य लक्ष्य की तिथियां घोषित की हैं। अंतरराष्ट्रीय कराधान के संबंध में, हम जी-20 द्वारा की गई महत्वपूर्ण प्रगति को आगे बढ़ाएंगे, जिसमें कर चुनौतियों का समाधान, क्षमता संवर्धन और कर संबंधी पारदर्शिता बढ़ाना शामिल है। हम महामारी से संबंधित जोखिमों और भेद्यताओं की पहचान करने और उन्हें संबोधित करने तथा महामारी संबंधी नए खतरों का सामना करने की तैयारियों में सुधार करने के लिए जी20-संचालित वित्त और स्वास्थ्य समन्वय व्यवस्था विकसित करना जारी रखेंगे।वित्तीय क्षेत्र विनियम में, हम प्रौद्योगिकी के विकास से उत्पन्न जोखिमों तथा अवसरों पर ध्यान देंगे। क्रिप्टो बाजारों में बार-बार की उथल-पुथल, कुछ स्थिर सिक्कों की डी-पेगिंग और व्यापक क्रिप्टो बाजारों में गिरावट ने क्रिप्टोकरेंसी से वित्तीय स्थिरता के लिए खतरे के बारे में आशंकाओं को बढ़ा दिया है। अतः, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के काम को संश्लेषित करके मौद्रिक नीति और समष्टिआर्थिक मुद्दों, डेटा गोपनीयता, बाजार अखंडता, प्रतिस्पर्धा नीति, कराधान जैसे पहलुओं को संबोधित करके जी20 क्रिप्टो-आस्ति संवाद को व्यापक बनाना आवश्यक है।तेजी से बढ़ती डिजिटल वित्तीय सेवाएं और अन्य पक्षकार की सेवाओं पर बढ़ती निर्भरता से वित्तीय प्रणाली को परिचालनगत, चलनिधि और एकाग्रता जोखिम हो सकता है। हम इन जोखिमों के प्रबंधन के लिए जोखिम प्रबंधन ढांचे में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना चाहते हैं। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था अधिक डिजीटल होती जाती है, साइबर जोखिम वित्तीय प्रणाली के लिए एक खतरा बन जाती है – शृंखला में कहीं भी एक आउटेज के कारण संपूर्ण वित्तीय प्रणाली पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। एक जंजीर उतनी ही मजबूत होती है जितनी उसकी सबसे कमजोर कड़ी। हमारी अध्यक्षता के दौरान, हम साइबर जोखिम से प्रणाली-स्तरीय कमजोरियों को कम करने के लिए वैश्विक सहयोग में वृद्धि देखना चाहते हैं।2030 तक प्रवासी विप्रेषण के लेनदेन लागत को 3 प्रतिशत से कम करने के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरक करने के लिए, हमारा उद्देश्य यह होगा कि राष्ट्रीय तेज़ भुगतान प्रणालियों की पारस्परिकता के माध्यम से उच्च लेनदेन लागत और भुगतान की उत्पत्ति और निपटान के बीच के समय दोनों को कम किया जाए। हम उन्नत वित्तीय समावेशन और उत्पादकता लाभ के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का उपयोग करेंगे। एक दृढ़ और जीवंत डिजिटल वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए रचनात्मक और व्यवहार्य नीतिगत सिफारिशें, आर्थिक विकास में योगदान देते हुए इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेंगी।इस परिवेश में, जी20, जो अपनी उत्पत्ति और प्रासंगिकता का श्रेय इस दृढ़ विश्वास को देता है कि वैश्विक समस्याओं को विश्व स्तर पर समन्वित समाधान की आवश्यकता है, विश्व को आशा देता है क्योंकि यह विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को, मजबूत, धारणीय, संतुलित और समावेशी विकास के अपने अधिदेश को प्राप्त करने के लिए एक नए सिरे से किए जाने वाले प्रयास में एक साथ लाता है। प्रत्येक संकट एक नया अवसर प्रदान करता है। अतः, हम आशा करते हैं कि मौजूदा बहु संकट(पॉलीक्राइसिस), उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए वैश्विक नीतिगत सहयोग को पुनर्जीवित करने, वैश्विक अर्थव्यवस्था को होने वाले विभिन्न भंजन (फ्रैक्चर) को ठीक करने और वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक ऐसे प्रक्षेपवक्र पर खड़ा करने की ओर ले जाता है जो जी20 के अधिदेश को पूरा करता है। न्यायसंगत और समावेशी मानव प्रगति ‘वसुधैव कुटुम्बकम‘ – एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य पर टिकी है।