नई दिल्ली । इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा वैश्विक रुख से तय होगी। विश्लेषकों ने कहा कि मासिक डेरिवेटिव्स निपटान और ऊंचे मूल्यांकन की वजह से बाजार में उतार-चढ़ाव रह सकता है। बीएसई सेंसेक्स शुक्रवार को अपने इतिहास में पहली बार 60,000 अंक के स्तर के पार गया। सेंसेक्स को 50,000 अंक से 60,000 अंक की अपनी यात्रा को पूरा करने में सिर्फ आठ महीने लगे हैं। इस साल जनवरी में पहली बार सेंसेक्स ने 50,000 अंक का ऐतिहासिक स्तर पार किया था। सेंसेक्स 31 साल में 1,000 अंक से 60,000 अंक पर पहुंचा है। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि भारत में तेजड़िया दौड़ का सिलसिला जारी है और सेंसेक्स सभी चिंताओं को नजरअंदाज कर 60,000 अंक के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचा है। हम 2003-2007 की तेजड़िया दौड़ को फिर देख रहे हैं। ऐसे में यह उड़ान अगले दो-तीन साल तक जारी रह सकती है। ऊंचे मूल्यांकन की वजह से हम बीच-बीच में उतार-चढ़ाव की संभावना से इनकार नहीं कर सकते। आर्थिक गतिविधियों में सुधार तथा कॉरपोरेट आय बढ़ने की वजह से हालांकि हमें सकारात्मक रुख जारी रहने की उम्मीद है। यह सप्ताह आर्थिक आंकड़ों की दृष्टि से शांत रहेगा। ऐसे में बाजार वैश्विक संकेतकों से दिशा लेगा। सितंबर के विनिर्माण पीएमआई के आंकड़े इसी सप्ताह आने हैं। इनसे माह के दौरान कारोबारी गतिविधियों के बारे में राय बनाने में मदद लेगी। पिछले सप्ताह बाजार में जो उतार-चढ़ाव दिखा, वह इस सप्ताह भी मासिक अनुबंधों के निपटान की वजह से जारी रहेगा। चिप की कमी और उसके चलते बिक्री की संभावनाएं प्रभावित होने की वजह से निश्चित रूप से सभी की निगाह वाहन कंपनियों के मासिक बिक्री आंकड़ों पर रहेगी। आगे चलकर कंपनियों की आमदनी के आंकड़ों से बाजार में और तेजी आ सकती है। विश्लेषकों ने कहा कि इसके अलावा बाजार की दिशा रुपए के उतार-चढ़ाव, विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश के रुख और ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतों से भी तय होगी।
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