महंत गिरि की रहस्यमयी मौत मंदिरों में चढ़ावे के दुरुपयोग को दर्शाती है: दिग्विजय

भोपाल । कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत मंदिरों के चढ़ावे के दुरुपयोग को दर्शाती है। सोमवार को महंत ने उत्तर प्रदेश स्थित प्रयागराज के अपने श्रीमठ बाघंबरी गद्दी में कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। सिंह ने भोपाल से करीब 40 किलोमीटर दूर सीहोर में संवाददाताओं से कहा ‎कि कहा जा रहा है कि नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या करने से पहले सुसाइड नोट भी लिखा है, जिसकी उत्तर प्रदेश पुलिस जांच कर रही है। लेकिन, उन्होंने अपने सुसाइड नोट में जो लिखा है वह चिंता का विषय है कि मंदिरों और मठों के चढ़ावे का कैसे दुरुपयोग हो रहा है। मठों पर कब्जा और मंदिरों की भूमि खरीद फरोख़्त में धांधली हो रही है। उन्होंने कहा ‎कि जब कोई व्यक्ति साधु-संत बन जाता है तो वह माया-मोह सब त्याग देता है। हमारा धर्म त्याग के साथ आगे बढ़ता है। त्याग से मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन, वह (आनंद गिरी) महंगे वाहनों का आनंद ले रहे है। यहां तक कि जब वह ऑस्ट्रेलिया गये थे, तब महिलाओं ने भी उसकी शिकायत की थी। सिंह ने दावा किया कि नरेंद्र गिरि ने सुसाइड नोट में लिखा है कि आनंद गिरि मठ में आये चढ़ावे में से भी पैसे लिया करते थे। यह धर्म के लिए अच्छा नहीं है।