प्रतापगढ़। कथावाचक के रूप में जिले का नाम रोशन कर रहे पं0 विजय कांत त्रिपाठी का एक अहम स्थान है।वह श्रीमद भागवत कथा की संगीतमय प्रस्तुति के लिए लोकप्रिय हैं। शांतिकुंज हरिद्वार के आचार्य प0 श्री राम शर्मा के अनन्य भक्त बसिरहा,फतनपुर जनपद प्रतापगढ़ के मूल निवासी भागवत भूषण पं0 विजय कांत तिवारी अब तक 105 श्रीमद्भागवत कथा का प्रस्तुतिकरण कर चुके हैं। गायत्री परिवार के सक्रिय सदस्य पं0 विजय कांत शांतिकुंज में 12 वर्ष तक समय दान देकर विभिन्न प्रदेशों में केंद्रीय टोली के साथ दौरा कर चुके है।लगभग 500 प्रज्ञा पुराण कथा व हजारों गायत्री यज्ञ करा चुके हैं। यह बातें उन्होंने एक विशेष वार्ता के दौरान कही। उन्होंने बताया कि इसके पूर्व बसिरहा में संचालित श्री गायत्री रामलीला समिति में 45 वर्ष से व्यास पीठ के संचालक की भूमिका निभा रहे हैं।वाद्ययंत्र,हारमोनियम,ढपली,ढोल,तबला के शौकीन विजय जी भक्तिगीत के साथ विभिन्न विधाओं में अवसरोंचित पारम्परिक गीतों की रचना स्वयं करते हैं।अब तक 500 से अधिक गीतों की रचना व उनका संगीतमय प्रस्तुतिकरण इन्होंने खुद किया है।श्रीमद्भागवत की कथा हिंदी मिश्रित अवधी भाषा शैली में कहते हैं।जिसे श्रोता भाव विभोर होकर सुनते हैं।प्रतापगढ़,प्रयागराज,सुल्तानपुर,जौनपुर सहित पंजाब,पश्चिम बंगाल, मुंबई सहित कई प्रदेशों में कथा का प्रस्तुतिकरण कर चुके कथावाचक विजय कांत जी का मानना है कि जीवन मे आगे बढ़ने तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रीमद्भागवत कथा हर वर्ग और आयु के लोगों को सुननी चाहिए। आस्थावान विपन्न लोगों से बिना दक्षिणा के भी कथा सुना चुके हैं।इसे श्रीमद्भागवत भगवान की साक्षात कृपा मानते है।इनका इकलौता बेटा दिल्ली में एलएनटी में इंजीनियर है। धर्मपत्नी कमलेश कुमारी व चार बेटियां का खुशहाल परिवार हैं।इनके गीत अपना अपना करो सुधार, तभी मिटेगा भ्रष्टाचार,जो सवारी तुम तक न पहुंचे प्रभु,वह सवारी हमको नहीं चाहिए।आदि गीत अधिक लोकप्रिय है।इनकी कथा में प्रसंगों को श्रोता सुनकर भाव विभोर हो जाते हैं।
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