काहिरा। हाल ही में प्राचीन मिस्र में एक प्राचीन मकबरे को दिखाना शुरू किया गया है। यह मकबरा राजा होजर का था जो 4500 साल रहने वाला एक फिरौन था। साउथर्न टोंब कहे जाने वाले मकबरे की जगह पर काफी काम पहले ही किया जा चुका है। यह मकबरा गलियारों से भरा है और इस पर चित्रलेख बने हुए हैं। इसके बीच में ग्रैनाइट से बना ताबूत है जो मिस्र के तीसरे साम्राज्य का है।कहा जाता है कि फिरौन को यहां नहीं बल्कि पास के स्टेप पिरामिड में दफन किया गया था जो दुनिया का सबसे पुराना पिरामिड माना जाता है। दोनों ढांचे काहिरा के पास सक्कारा के कॉम्प्लेक्स का एक हिस्सा बनाते हैं। मिस्र के ऐंटीक्विटीज ऐंड टूरिज्म मंत्रालय ने कहा है कि इस हफ्ते इस मकबरे को खोला जाएगा। साल 2006 से यहां काम चल रहा था। इसमें जमीन के नीचे बने गलियारों को सुधारा गया है और दीवारों को बेहतर किया गया है। यहां लाइटें भी लगाई गई हैं। जल्द ही इसे आम लोगों को लिए खोल दिया जाएगा। साउथर्न टोंब के साथ-साथ सक्कारा की पठारी पर 11 पिरामिड और सैकड़ों मकबरे हैं। इससे पहले पुरातत्वविदों को सोहाग के पास स्थित हमिदियाह कब्रगाह के पास से सामान्य पुरातात्विक सर्वेक्षण के दौरान सैकड़ों मकबरे मिले थे। शोधकर्ताओं ने बताया कि ये मकबरे 2200 ईसापूर्व से लेकर 30 ईसापूर्व के बीच बनाए गए हैं। करीब चार हजार साल पुराने इन मकबरों को एक चट्टान को काटकर मकबरे का शक्ल दिया गया है। बताया जा रहा है कि नील नदी के पश्चिमी किनारे पर कुल 250 मकबरे मिले थे। ये मकबरे कई अलग-अलग स्टाइल में बनाए गए हैं। इन्हें पहाड़ों के अंदर विभिन्न स्तरों पर बनाए गए हैं। एक मकबरे में तो नकली दरवाजा लगा हुआ है और उस पर चित्रात्मक लिपि अभी भी बनी हुई है। कुछ चित्रों में लोग मरने वाले की ओर से ईश्वर को चढ़ावा चढ़ा रहे हैं।
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