कर्बला में शहादत की मिसाल नहीं: हबीब हैदर

जौनपुर । शीराज-ए-हिंद की गंगा जमुनी तहजीब को अपने दामन में समेटे और हिन्दू मुस्लिम एकता की प्रतिक अंजुमन जाफरिया के तत्वाधान में कर्बला के प्यासे शहीदों की याद में शनिवार की शाम कदीम तरही शब्बेदारी स्थानीय कल्लू मरहूम के इमामबाड़े में संपन हुयी। शब्बेदारी में देश विदेश से आये हुए सोगवारों ने कोविड गाईडलाइन का पालन करते हुए लगातार मातम कर आंसुओ का नजराना इमाम हुसैन को पेश कर फफक-फफक कर रोते रहे । इस शब्बेदारी में नगर की तीन अन्जुमनो ने मातम किया । मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना हबीब हैदर ने कहा की इस्लाम धर्म के पर्वर्तक हजरत मोहम्मद साहेब के नवासे इमाम हुसैन ने जो कर्बला में शहादत दी है। उसकी आज तक कही कोई मिसाल नहीं है। उन्होंने कहा की शिया मुसलमानों के जन्म का मकसद ही इमाम हुसैन की शहादत पर आंसू बहाना है। क्योंकी शिया वर्ग के लोग इमाम हुसैन की मां फातिमा जोहरा की तमन्ना है। मजलिस की सोजख्वानी समर रजा वा अफरोज रजा ने किया। अंतिम तकरीर को मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने खिताब करते हुए कर्बला के दिलसोज मंजर को ऐसा दर्शाया तो चारों ओर से लोग चीख-पुकार करने लगे । मौलाना ने कहाकि की इंसान को अपना लीडर पढ़े लिखे और इंसाफ पसंद लोगो को चुनना चाहिए , ताकि वो लीडर इंसान को सही दिशा दिखा सके । मजलिस के बाद शबीहे ताबूत बरामद हुआ जिसके हमराह अन्जुमन कौसरिया रिज़वी खान , अन्जुमन हुसैनिया , अन्जुमन असगरिया ने नौहा व मातम किया । अंत मे अन्जुमन जाफ़रिया के अध्यक्ष नजमुल हसन नजमी ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया , संचालन बिलाल हसनैन ने किया । नजमुल हसन नजमी , बशीर , डॉ राहिल , मास्टर वसीम हैदर , मीनू खान , कम्बर , मोनू , बिका , आरिज़ ज़ैदी , ताबिश ज़ैदी , शहनवाज़ खान आदि मौजूद रहे ।