वाशिंगटन । अंतरिक्ष एजेंसी नासा को मंगल ग्रह से चट्टानी मिट्टी का सैंपल लाने में दस साल लग जाएंगे। इतना नहीं, इस काम पर अरबों डॉलर खर्च होंगे वो अलग है। नासा के प्रीजवरेंस रोवर ने चट्टानी मिट्टी के सैंपल सफलता से इकट्ठा कर लिए हैं। जीवन की तलाश में यह एक बड़ी सफलता है। दरअसल, प्रीजवरेंस मिशन अकेला काम नहीं कर रहा है। इसका काम मंगल की सतह से ऐसे चट्टानी सैंपल इकट्ठा करने का है जिनमें जीवन के निशान मिलने की उम्मीद हो।इसके सैंपल इकट्ठा करने के बाद एक और मिशन इन्हें लेने मंगल पर जाएगा और फिर तीसरा मिशन स्पेस में ये सैंपल लेगा और धरती पर ड्रॉप कर देगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रीजवरेंस के हिस्से का काम नासा को 2.7 अरब डॉलर का पड़ा है। इसके बाद एक रॉकेट सैंपल ट्यूब और रोवर के साथ मंगल पर जाएगा। रोवर प्रीजवरेंस का संभालकर रखा सैंपल ट्यूब कलेक्ट करेगा और रॉकेट में मौजूद सैंपल ट्यूब में लाकर रखेगा। यही रॉकेट धरती पर लौटेगा। इसके लिए जरूरी ईंधन भी नासा मंगल पर ही बनाना चाहता है क्योंकि धरती से ले जाना मुश्किल होगा। ईंधन के लिए जरूरी ऑक्सिजन बनाने के लिए प्रीजवरेंस में ही मोक्सी डिवाइस लगी है। इसकी मदद से भविष्य में इंसानों के लिए भी ऑक्सिजन बनाने की संभावना को तलाशा जा रहा है। इस प्रोग्राम का तीसरा हिस्सा होगा एक स्पेसक्राफ्ट जो मंगल से सैंपल लेकर निकले रॉकेट इंतजार कर रहा होगा। रॉकेट से सैंपल कलेक्ट करने के बाद इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन की मदद से यह धरती की ओर आएगा और एक एंट्री वीइकल में धरती पर सैंपल छोड़ देगा। इन तीनों मिशन्स की कीमत 7-9 अरब डॉलर के बीच हो सकती है। इसके अलावा धरती पर इनके लौटने के बाद अनैलेसिस की कीमत अलग। हालांकि, सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस पूरे मिशन को पूरा करने में अभी कम से कम 10 साल लग सकते हैं। दरअसल, इसके लिए जरूरी टेक्नॉलजी अभी विकसित की जा रही है। बात करें प्रीजवरेंस रोवर मिशन की तो इसमें मोबाइल लैब, कैमरे, रेडार, एक्स-रे, स्पेक्ट्रोमीटर, ड्रिल और लेजर तक लगे हैं ताकि मंगल की चट्टानों को सही से ऑब्जर्व किया जा सके।
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