काबुल । अफगानिस्तान में तालिबान ने पंजशीर घाटी पर पूरी तरह कब्जा हासिल करने का दावा किया है। रविवार रात हुए भीषण संघर्ष में नॉर्दन अलायंस के चीफ कमांडर सालेह मोहम्मद की मौत हो गई है। तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने अपने एक बयान में कहा कि इस जीत के साथ ही हमारा देश पूरी तरह से युद्ध के दलदल से बाहर निकल आया है। सोशल मीडिया पर सामने आ रही तस्वीरों में तालिबान के लड़ाके पंजशीर के प्रांतीय गवर्नर के परिसर के गेट के सामने खड़े नजर आ रहे हैं। तालिबान का कहना है कि पंजशीर को जल्द ही मसूद परिवार से स्वतंत्र घोषित कर दिया जाएगा। अब घाटी में भी तालिबानी प्रशासक होगा। इससे पहले पंजशीर के शेर कहने वाले अहमद मसूद ने तालिबान के सामने शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा है। मसूद ने दावा किया था कि तालिबान ने अपने लड़ाकों को पंजशीर से वापस बुला लिया है। तालिबानी लड़ाके बागलान प्रांत के अंदराब जिले से भी पीछे हट गए हैं। मसूद ने कहा कि तालिबानियों के पीछे हटने के बाद नार्दर्न अलायंस ने अपना मिलिट्री ऑपरेशन रोकने का ऐलान किया है।हालांकि, सोमवार को तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने पंजशीर में तालिबान का कब्जा होने और तालिबान का झंडा लहराने की पुष्टि की है। नॉर्दन अलायंस की ओर से अभी तक ऐसा कोई बयान नहीं आया है। पंजशीर में हुए भीषण संघर्ष में तालिबान के लड़ाकों को भारी नुकसान होने की खबर है। हामिद मसूद के लड़ाकों ने तालिबान के लड़ाकों का पंजशीर में घुसना मुश्किल कर दिया। पहाड़ी प्रांत में मसूद के लड़ाकों ने हर रास्ते पर एम्बुश लगा रखा है। जिसमें फंस कर तालिबान और पाक सेना के जवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। नार्दर्न अलायंस ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उनके लड़ाके तालिबानियों के सैन्य वाहनों को रॉकेट से उड़ाते दिख रहे हैं।कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पाकिस्तान ने अपने सबसे बड़े दुश्मन अमरुल्ला सालेह के घर को फाइटर जेट और ड्रोन से निशाना बनाया है। हालांकि, सालेह से इस हमले में बाल-बाल बचे। इसके बाद वह किसी अज्ञात जगह पर छिप गए हैं। इससे पहले तालिबानी हमले में पंजशीर घाटी के विद्रोही नेता अहमद मसूद के प्रवक्ता और पत्रकार फहीम दश्ती की मौत हो गई। पंजशीर घाटी का अर्थ है पांच शेरों की घाटी। इसका नाम एक किंवदंती से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि 10वीं शताब्दी में, पांच भाई बाढ़ के पानी को नियंत्रित करने में कामयाब रहे थे। उन्होंने गजनी के सुल्तान महमूद के लिए एक बांध बनाया। इसी के बाद से इसे पंजशीर घाटी कहा जाता है। पंजशीर घाटी काबुल के उत्तर में हिंदू कुश में स्थित है। यह क्षेत्र 1980 के दशक में सोवियत संघ और फिर 1990 के दशक में तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध का गढ़ था। इस घाटी में डेढ़ लाख से अधिक लोग रहते हैं, इनमें से ज्यादातर ताजिक मूल के लोग हैं।
Share on Facebook
Follow on Facebook
Add to Google+
Connect on Linked in
Subscribe by Email
Print This Post