नई दिल्ली । बेहतरीन स्वाद और सेहत के लिए दही को मिट्टी की हांडी में ही जमाना चाहिए। हमारे में गांवों में आज भी यही परंपरा चली आ रही है लेकिन शहरों में इन बर्तनों की जगह स्टील और प्लास्टिक के बर्तन आ गए। दरअसल मिट्टी की हांडी प्राकृतिक तौर पर तापमान को कंट्रोल करती है जो दही के लिए काफी उपयुक्त है। अगर दही में मौजूद गुड बैक्टीरिया को ज्यादा ठंडा और गर्म माहौल मिले तो ये सही तरह से जमते नहीं हैं। यही नहीं, सेहत पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। जानकारी के मुताबिक,कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल में डायटीशियन डॉ. अदिति शर्मा बताती हैं कि जब हम मिट्टी की हांडी में दही जमाते हैं तो इसमें बहुत सारे प्राकृतिक मिनरल्स जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम, सल्फर और अन्य प्राकृतिक तत्त्व बढ़ जाते हैं। इन तत्वों से दही का स्वाद और न्यूट्रीशन वैल्यू दोनों ही बढ़ जाता है। तो आइए जानते हैं कि मिट्टी के बर्तन में दही जमाने से क्या फायदा मिलता है। दरअसल जब मटके में दही बनता है तो इसमें मौजूद पानी को मटका सोख लेता है और इस वजह से ये थिक टेक्सचर का बनता है। जिस वजह से ये खट्टा नहीं होता और स्वाद भी कई गुना बढ जाता है। मिट्टी के हांडी में चीजें जल्दी गर्म नहीं होतीं। यह गर्म तापमान को अवशोषित कर लेता है। ऐसे में जब इसमें दही जमाया जाता है तो इसके तापमान में बदलाव नहीं होता और दही लंबे समय तक खराब होने से बचा रहता है। तापमान में बदलाव नहीं होने की वजह से जल्दी जमते भी हैं। जब आप मिट्टी के बर्तन में दही जमाते हैं तो इसमे एक खास फ्लेवर आता है। यह खुशबू किसी और बर्तन में नहीं आती। दरअसल यह मिट्टी से आने वाली सौंधी खुशबू होती है जो बहुत ही यूनिक और स्वादिष्ट है। दरअसल दही जमाने के लिए जिस जोरन का प्रयोग किया जाता है वह दही को बहुत ज्यादा खट्टा या एसिडिक बना सकता है। लेकिन मटके में अगर आप दही जमा रहे हैं तो मिट्टी एल्कलाइन होने की वजह से काफी सारे एसिड को बैलेंस कर देती है और दही का स्वाद मीठा बना रहता है। हमारी दादी नानी के जमाने में मिट्टी की हांडी में दही जमाने की परंपरा थी।
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