अपने अंगरक्षक से सालेह ने कहा …मैं घायल हो जाऊं तो मुझे गोली मार देना

काबुल । अफगानिस्तान में तालिबान काबिज है पर और उसके जुल्म और सितम की करतूते लगातार सामने आ रही हैं। इस बीच खुद को अफगानिस्तान का कार्यकारी राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्लाह सालेह ने काबुल पर तालिबानी कब्जे से पहले की कहानी बयां की हैं। सालेह ने बताया कि कैसे उन्होंने तालिबान के कब्जे के बाद अपनी पत्नी और बेटी की तस्वीर को जला दिया। सालेह ने अपने अंगरक्षक से कहा था कि अगर मैं घायल हो जाऊं तो मुझे गोली मार देना। अमरुल्लाह सालेह ने बताया कि काबुल पर कब्जे से एक रात पहले, जेल के अंदर विद्रोह हुआ था। सालेह को भी इस बारे में बताया गया था। उन्होंने गैर-तालिबान कैदियों से संपर्क करने की भी कोशिश की थी। अगले दिन सालेह सुबह 8 बजे उठे। उन्होंने रक्षा मंत्री, आंतरिक मंत्री और उनके डेप्युटी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। काबुल के पुलिस प्रमुख ने उन्हें सूचित किया कि वह एक घंटे तक मोर्चा संभाल सकते हैं।सालेह बताते हैं कि, ‘लेकिन उस एक हताश घंटे में, मैं शहर में कहीं भी तैनात अफगान सैनिकों को खोजने में असमर्थ था।’ सालेह ने लिखा, मैंने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को यह कहने के लिए मेसेज किया कि हमें कुछ करना है। मुझे किसी से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली और 15 अगस्त की सुबह 9 बजे तक काबुल घबरा रहा था। जैसे ही तालिबान ने काबुल पर अपनी पकड़ मजबूत की, सालेह ने अहमद मसूद को संदेश भेजा। सालेह ने लिखा, ‘मैंने फिर अपने घर में जाकर अपनी पत्नी और बेटियों की तस्वीरें नष्ट कर दीं। मैंने अपना कंप्यूटर और कुछ सामना इकट्ठा किया। मैंने अपने बॉडीगार्ड से कहा कि अगर मैं घायल हो जाऊं तो मुझे गोली मार देना।’ वहीं, पंजशीर घाटी पर तालिबानी कब्जे को अमरुल्लाह साले ने नकार दिया है। पंजशीर पर तालिबानी कब्जे के दावे के बीच अफगानिस्तान के अपदस्थ उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने वीडियो जारी कर कहा है कि वे कहीं नहीं भागे हैं। उन्होंने कहा कि मैं अब भी पंजशीर में अपने लोगों के साथ हूं और लगातार बैठकें कर रहा हूं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम एक मुश्किल स्थिति में हैं। हम तालिबान द्वारा आक्रमण को झेल रहे हैं।