प्रयागराज,। अब कोरोना संक्रमण तो इक्का-दुक्का लोगों में ही हो रहा है लेकिन, सरकारी और निजी अस्पताल बीमारों से ओवरलोड हो गए हैं। कहीं भी तिल रखने की जगह नहीं बची है। पंजीकरण काउंटर से लेकर डाक्टरों की ओपीडी, जांच शुल्क विंडो, पैथालाजी लैब विंडो तथा दवा की दुकानों पर एक दूसरे पर टूट रहे लोगों के हालात बता रहे हैं कि सीजनल बीमारियों ने डेरा डाल रखा है। इनसे बचाव के लिए आपको भी सावधानी की आवश्यकता है।सबसे ज्यादा मलेरिया, टायफाइड और डायरिया का संक्रमण फैला है। घर-घर में लोग बीमार हैं, कहीं-कहीं तो पूरा परिवार ही बिस्तर पर है। किसी के सिर व शरीर में भारीपन, किसी को पेट दर्द या कब्ज की बीमारी, कुछ लोगों में गले में खराश और दर्द या कुछ लोगों को पोस्ट कोविड हो रही दिक्कतें भी हैं। वजह कई हैं। दूषित पानी का इस्तेमाल, घर से बाहर खुली हुई खाद्य सामग्री खाना, हथेली की सफाई पर ध्यान न देना, बच्चों के खानपान पर नियंत्रण न होना, बड़े बुजुर्गों में भी अनियमित खानपान और जहरीले मच्छरों के डंक भी बीमारियों के प्रमुख कारण बने हैं।स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय, बेली और काल्विन अस्पताल में भीड़ देख पर्चा काउंटर पर बैैठे कर्मचारियों को पसीने छूट रहे हैं। ओपीडी में डाक्टरों के सांस लेने की फुर्सत नहीं मिल पा रही है। दवा की दुकानों पर काफी भीड़ है तो सरकारी पैथालाजी में जांच रिपोर्ट दो दिन की बजाए चार से पांच दिनों बाद मिल रही है। कारण है कि जांचें वहां भी ओवरलोड हैं और कर्मचारी सीमित हैं।डाक्टर अजीत चौरसिया और डा. मनोज माथुर का कहना है कि सीजनल बीमारियों से बचना आसान है। केवल अपने खानपान पर एहतियात बरता जाए। इन दिनों खाना और पानी शुद्ध व स्वच्छ हो तो पेट से होने वाली बीमारियों से बचे रहेंगे। कपड़े मौसम के बदलाव को देखते हुए पहनें तो सर्दी जुखाम से सुरक्षित रहेंगे। कहा कि बुखार हो तो दो तीन दिन ही घर में रहकर प्रतीक्षा करें। इसके बाद भी तबीयत ठीक नहीं हो रही तो डाक्टर को जरूर दिखाएं और परामर्श के अनुसार जांच करा लें। इससे बीमारी पकड़ में आ जाएगी और त्वरित इलाज से स्वस्थ हो जाएंगे। लापरवाही करने पर बीमारी जानलेवा हो जाती है।
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