राष्ट्रपति भारतीय नेवल एवियशन को ध्वज प्रदान करेंगे

Address to the Nation by the President of India on the eve of Independence Day 2020,at President House, in the capital on Friday.—SNS—-14–08–20.

नयी दिल्ली | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गोवा में आईएनएस हंस पर आयोजित एक रस्मी परेड में छह सितंबर को भारतीय नेवल एविएशन को ‘राष्ट्रपति का ध्वज’ प्रदान करेंगे।इस अवसर पर डाक विभाग ‘स्पेशल डे कवर’ भी जारी करेगा। समारोह में गोवा के राज्यपाल, रक्षामंत्री, गोवा के मुख्यमंत्री, नौसेना प्रमुख, सैन्य और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ अनेक विशिष्ट व्यक्तियों के भी उपस्थित रहने की संभावना है। राष्ट्र की अद्वितीय सेवा के लिये किसी भी सैन्य इकाई को प्रदान किया जाने वाला ‘राष्ट्रपति का ध्वज’ सर्वोच्च सम्मान होता है। भारतीय सशस्त्र बलों में भारतीय नौसेना को सबसे पहले यह सम्मान तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 27 मई, 1951 को प्रदान किया था। उसके बाद ‘राष्ट्रपति का ध्वज’ नौसेना की दक्षिणी कमान, पूर्वी कमान, पश्चिमी कमान, पूर्वी बेड़े, पश्चिमी बेड़े, पनडुब्बी इकाई, आईएनएस शिवाजी और भारतीय नौसेना अकादमी को भी प्रदान किया गया।भारतीय नेवल एविएशन 13 जनवरी, 1951 को पहले सी-लैंड हवाई जहाज के खरीदे जाने तथा 11 मई, 1953 को पहले नौसेना हवाई स्टेशन आईएनएस गरुड़ के लोकार्पण के बाद अस्तित्व में आई थी। वर्ष 1958 में सशस्त्र फायर-फ्लाई हवाई जहाज के आगमन से नौसेना की ताकत बढ़ी। उसके बाद नेवल एविएशन ने लगातार अपना विस्तार किया और साजो-सामान प्राप्त किया। इस तरह वह अजेय नौसेना का अभिन्न अंग बन गया। वर्ष 1959 में भारतीय नौसेना हवाई बेड़े (आईएनएएस) 550 का लोकार्पण हुआ। इस स्क्वॉड्रन में 10 सी-लैंड, 10 फायर-फ्लाई और तीन एचटी-2 विमान शामिल थे। समय बीतने के साथ नेवल एविएशन में विभिन्न प्रकार के रोटरी विंग वाले विमानों को भी जोड़ा गया। इन विमानों में एलोएट, एस-55, सी-किंग 42ए और 42बी, कामोव 25, 28 और 31, यूएच3एच, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर और अब तक के सबसे आधुनिक एमएच60आर जैसे विमान तथा हेलीकॉप्टर हैं। समुद्री निगरानी और टोह लेने की गतिविधियां भी तेजी से बढ़ रही हैं। इसके लिये 1976 में भारतीय वायु सेना के सुपर-कॉन्सटेलेशन, 1977 में आईएल-38 और 1989 में टीयू 142 एम को शामिल किया गया। वर्ष 1991 में डोर्नियर और 2013 में उत्कृष्ट बोइंग पी 81 हवाई जहाज को शामिल करने के क्रम में उन्नत एमआर हवाई जहाजों का पदार्पण हुआ।