डब्ल्यूएचओ अब कर रहा कोरोना वैक्सीन की तीसरी खुराक देने की वकालत

जिनेवा । वैश्विक महामारी कोरोना की तीसरी लहर की आहट की आशंकाओं के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की यूरोप शाखा के प्रमुख ने वैक्सीन के तीसरे डोज देने की वकालत की है। उनका मानना है कि वैक्सीन की तीसरी खुराक को देकर हम अधिक खतरे वाले लोगों को संक्रमण से बचा सकते हैं। हाल में ही कई ऐसी रिपोर्ट्स आई हैं, जिसमें दावा किया गया है कि छह महीने में वैक्सीन का असर कम हो रहा है। इस कारण यूएई और इजरायल में इन दिनों तीसरी डोज लगाने का काम भी जारी है। डब्ल्यूएचओ की यूरोप शाखा के प्रमुख ने कहा है कि वह अमेरिकी सरकार के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ की इस बात से सहमत है कि कोविड-19 रोधी टीके की तीसरी खुराक अतिसंवेदनशील लोगों को संक्रमण से बचाने में सहायता कर सकती है। डॉ. हंस क्लुगे ने संक्रमण के अधिक प्रसार को बेहद चिंताजनक बताते हुए कहा कि डब्ल्यूएचओ यूरोप क्षेत्र में शामिल 53 में से 33 देशों में पिछले एक सप्ताह से ज्यादा समय में मामलों में 10 प्रतिशत या इससे अधिक की वृद्धि हुई है। क्लुगे ने कहा कि उन्होंने अमेरिकी सरकार के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची से बात की है और दोनों का मानना है कि टीके की तीसरी खुराक उस तरह की विलासिता नहीं है जो उस व्यक्ति से छीनी जा रही है जो टीके की पहली खुराक के लिए प्रतीक्षारत है। क्लुगे ने कहा कि यह सिर्फ अति संवेदनशील लोगों को सुरक्षित रखने के लिए है।उन्होंने साथ में यह भी कहा कि वे समृद्ध देश जिनके पास अधिक मात्रा में टीके उपलब्ध हैं, उन्हें इन्हें उन देशों के साथ साझा करने चाहिए जहां टीकों की किल्लत है। उधर भारत में भी वैक्सीन का उत्पादन बढ़ने और आधी से अधिक आबादी को वैक्सीन की कम से कम एक खुराक लगने से अब इसके निर्यात की संभावना जताई जा रही है। दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों में सामने आए कोराना को नए वेरियंट ने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी है। आशंका है कि सी।1।2 वेरियंट पहले के सभी स्वरूपों से अधिक संक्रामक हो सकता है और कोरोना वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा को भी बेअसर कर सकता है। दक्षिण अफ्रीका स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज एवं क्वाजुलु नैटल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लैटफॉर्म के वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप सी.1.2 का, सबसे पहले देश में इस साल मई में पता चला था। उन्होंने कहा कि तब से लेकर गत 13 अगस्त तक यह स्वरूप चीन, कांगो, मॉरीशस, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड में मिल चुका है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 की पहली लहर के दौरान सामने आए वायरस के उपस्वरूपों में से एक सी.1 की तुलना में सी.1.2 अधिक उत्परिवर्तित हुआ है जिसे ‘रुचि के स्वरूप’ की श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने कहा कि सी.1.2 में अन्य स्वरूपों- ‘चिंता के स्वरूपों या रुचि के स्वरूपों’ की तुलना में अधिक उत्परिवर्तन देखने को मिला है।