गर्भवती महिलाएं लें इस प्रकार के आहार

गर्भवती महिलाओं को आहार में ऐसी चीजें शामिल करनी चाहिए, जिससे बदलते मौसम में रोग प्रतिरोधी शक्ति बढ़ने में मदद मिले। इससे बच्चे का भी सही तरीके से विकास होता है। नहीं तो मौसमी बीमारियों से मां के साथ बच्चे की सेहत को भी नुकसान हो सकता है। कुछ ऐसे ही सुपर फूड्स हैं, जिनका सेवन करने से मां और बच्चे दोनों की सेहत अच्छी रहती है।
सूखे मेवे
सूखे मेवे यानी ड्राई फ्रूट्स में विटामिन, कैल्शियम, आयरन, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। ऐसे में इसका सेवन करने से बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास में मदद मिलती है। खासतौर पर रातभर भिगोएं बादाम को सुबह खाली पेट खाना ज्यादा फायदेमंद रहेगा। इसके अलावा इन्हें खीर, हलवा, दूध आदि में मिलाकर कर भी खाया जा सकता है।
विटामिन-सी
गर्भावस्था में थकान, कमजोरी से बचने व रोग प्रतिरोधी शक्ति को बढ़ाने के लिए लिए भी विटामिन-सी की आवश्यकता होती है। इसकी कमी को पूरा करने के लिए महिलाओं को नींबू, आंवला, संतरा, ब्रोकली आदि चीजों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। आप आंवले का मुरब्बा खा सकती है।
पानी
अक्सर सर्दी के कारण पानी की प्यास कम लगी है। मगर शरीर में पानी की कमी बीमारियों को न्योता देने का काम करती है। खासतौर पर गर्भावस्था में मां और बच्चे की सेहत को बरकरार रखने के लिए पानी का सेवन करना बहुत जरूरी है। सर्दी से बचने के लिए आप चाहें तो गुनगुने पानी का सेवन कर सकती हैं। इसके अलावा ग्रीन-टी व हर्बल-टी का सेवन करना भी फायदेमंद रहेगा।
डेयरी प्रोडक्ट्स
इस दौरान महिलाओं को कैल्शियम की अधिक जरूरत होती है। ऐसे में उन्हें दूध, दही, पनीर आदि कैल्शियम से भरपूर डेयरी प्रोडक्ट्स का भारी मात्रा में सेवन करना चाहिए। इससे शरीर को सभी पोषक तत्व मिलते हैं। साथ ही मां और बच्चे की हड्डियां मजबूत होती हैं।
सब्जियां व दालें
हरी-पत्तेदार व दालों सब्जियों में भारी मात्रा में विटामिन, कैल्शियम, आयरन व एंटी-ऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं। ऐसे में इनका सेवन करने से शरीर को सभी जरूरी तत्व मिलते हैं। इसलिए गर्भावस्था में इसका सेवन जरूर करें
एस्ट्रोजन यह हार्मोन पीरियड्स के साथ-साथ गर्भावस्था से भी जुड़ा हुआ है। इसकी कमी से महिलाएं को अनियमित पीरियड्स, इनफर्टिल‍िटी, थकावट, सिरदर्द जैसी समस्याएं झेलनी पड़ती है। वहीं, प्रेगनेंसी और मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में इसकी मात्रा कम हो जाती है, इसलिए शरीर में इसकी कमी पूरी करना और भी जरूरी है।