नई दिल्ली । कोरोना संकटकाल में आमतौर पर लोगों में पाई जाने वाली बीमारियां भी जानलेवा बनती जा रही हैं। ऐसी ही समस्या है ब्लड प्रेशर का लो होना। देश में कोरोना के कई मामलों में संक्रमित लोगों में ब्लड प्रेशर धीमा होने की शिकायतें भी सामने आई हैं। यहां तक कि कई मरीजों में कोरोना से रिकवर होने के बाद भी ब्लड प्रेशर के सबसे निचले स्तर पर पाए जाने की भी सूचनाएं मिली हैं। वहीं कोरोना से या कोरोना के बाद मरीजों में यह भी सामने आया है कि मरीज का ब्लड प्रेशर बढ़ नहीं पाया और उसकी मौत हो गई।विशेषज्ञों का कहना हैं कि न केवल कोरोना में बल्कि कई अन्य बीमारियों के दौरान भी मरीजों में ब्लड प्रेशर लो होने की समस्या हो जाती है। आमतौर पर बीपी हाई होने पर ब्रेन हेमरेज या हर्ट संबंधी समस्याएं हो जाती हैं जबकि बीपी लो में ऐसे गंभीर लक्षण नहीं मिलते हैं। लेकिन अब कोरोना के बाद से चीजें जटिल हुई हैं। कोरोना होने के दौरान या कोरोना से रिकवर होने के बाद अगर मरीज का ब्लड प्रेशर सामान्य नहीं है और लगातार नीचे जा रहा है तो यह चिंता की बात है। ऐसा शॉक के कारण भी होता है। कोविड से मौत के कई मामलों में देखा गया है कि व्यक्ति का बीपी लो हुआ है और ऑक्सीजन लेवल भी गिरा है, वहीं अंत तक ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ पाया है। यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि अगर आपका बीपी लो हो रहा है तो उसे हल्के में न लें, बल्कि तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ऐसा करना खतरे से भरा हो सकता है।बता दें कि कई लोगों में सामान्य तौर पर भी बीपी सामान्य से लो ही रहता है लेकिन कोविड के दौरान किसी भी खतरे से निपटने के लिए जरूरी है कि बीपी लो को लेकर लापरवाही न बरतें। बता दें कि जब किसी भी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर 90/60 से नीचे चला जाता है तो इसे लो बीपी या हाइपोटेंशन कहते हैं। इस दौरान व्यक्ति को बेहोशी आने लगती है, साथ ही द्रष्टि भी धुंधली हो जाती है। कुछ लोगों को चक्कर भी आते हैं। इससे दिल की पंपिंग क्रिया पर भी असर पड़ता है।विशेषज्ञों का कहना हैं कि सिर्फ कोरोना वायरस को लेकर ही नहीं बल्कि सामान्य रूप से भी लोग अपना ब्लड प्रेशर जांचते रहें वहीं अगर कोरोना से उबरे हैं तो नियमित रूप से बीपी की जांच करें।
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