अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से किया जाए निरीक्षण और अनुसूची का सख्ती से करें पालन सुनिश्चित : महाप्रबंधक उमरे

प्रयागराज।महाप्रबंधक उत्तर मध्य रेलवे प्रमोद कुमार ने आज जोन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। आगरा, प्रयागराज और झांसी के मंडल रेल प्रबंधकों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में हिस्सा लिया । बैठक के दौरान, महाप्रबंधक ने यह स्पष्ट किया कि ट्रेन संचालन में संरक्षा सर्वोपरि है और संरक्षा मानदंडों के उल्लंघन के प्रत्येक मामले की, यदि वांछित हो तो उच्च स्तर पर जिम्मेदारी निर्धारण के साथ उचित रूप से जांच की जानी चाहिए। महाप्रबंधक ने कहा कि यह अधिकारियों और पर्यवेक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने फील्ड स्टाफ को प्रशिक्षित करें और उनकी क्षमताओं को नियमित रूप से अपग्रेड करें। उन्होंने आगे कहा कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि नियम में कोई भी संशोधन या कोई नया नियम फील्ड में पहुंचे और यह सुनिश्चित किया जाए कि कर्मचारियों ने उन्हें ठीक से समझा है।
बैठक की शुरुआत प्रमुख मुख्य संरक्षा अधिकारी मनीष गुप्ता द्वारा आपदा प्रबंधन योजना के संबंध में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन साझा करने के साथ हुई। श्री गुप्ता ने कहा कि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति के लिए खुद को तैयार रखने के लिए हमें खुद को अपडेट और अपग्रेड करना होगा। बैठक में यह भी विषय आया कि रेलवे ने आपदा प्रबंधन सिद्धांतों को एक अंतर्निहित दर्शन के रूप में आत्मसात किया है, जिसमें रोकथाम, शमन, क्षमता निर्माण, तैयारी और त्वरित प्रतिक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ट्रेन संचालन के मूल में निहित है कि, बचाव के हिस्से को अत्यधिक महत्व दिया जाना चाहिए। क्षमता निर्माण के संबंध में नियमित संरक्षा संगोष्ठियों के साथ समय पर प्रशिक्षण एवं पुनश्चर्या पाठ्यक्रम भी कराया जा रहा है। यह भी चर्चा की गई कि एआरटी और एआरएमई के रखरखाव पर उचित ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि जब भी जरूरत हो, वे तैयार स्थिति में हों। मंडल रेल प्रबंधकों ने यह भी बताया कि अपनी तैयारियों का मूल्यांकन करने के लिए समय-समय पर मॉक ड्रिल की जा रही है।आगे चर्चा करते हुए पीसीएसओ ने बताया कि उचित रिस्क मैपिंग करना और उपलब्ध नवीनतम तकनीक का लाभ उठाना आवश्यक है। महाप्रबंधक प्रमोद कुमार ने निर्देश दिए कि रिस्क मैपिंग एक स्टैटिक प्रैक्टिस नहीं होना चाहिए। सभी मंडलों को अपने मंडलों में संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए जो आपदा प्रवण हैं और यह मूल्यांकन एक गतिशील प्रक्रिया होना चाहिए। सोशल मीडिया और मोबाइल प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर भी चर्चा की गई ताकि लोगों के बीच चलती ट्रेनों में बोर्डिंग / डीबोर्डिंग आदि संरक्षा संबंधी प्रथाओं के बारे में जागरूकता प्रसारित की जा सके,।ट्रेनों में आग की घटनाओं संबंधी मामलों में रेलवे कर्मचारियों द्वारा बचाव और सावधानियों के संबंध में उठाए गए कदमों पर भी चर्चा की गई।