लखनऊ । कल्याण सिंह के निधन के बाद उनके नाम को लेकर यूपी में राजनीति चरम पर है। वो एक पुरानी कहावत है राम से बड़ा राम का नाम। उसी तर्ज़ पर कल्याण से बड़ा अब उनका नाम है। उनके नाम के पीछे है पिछड़ों और हिंदुत्व की राजनीति के अद्भुत प्रयोग का चेहरा। जो अगले चुनाव में बीजेपी के लिए वरदान साबित हो सकता है। वहीं बीजेपी जिसके लिए कल्याण सिंह ने कहा था कि उनकी इच्छा है कि उनके मरने के बाद उनका शव बीजेपी के झंडे में लपेटा जाए। उनकी ये आख़िरी इच्छा पूरी हुई। कल्याण सिंह के बेटे ने उनकी राजनैतिक विरासत यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है। राजवीर सिंह एटा से लोकसभा के सांसद हैं और कल्याण सिंह के इकलौते बेटे भी। उन्होंने सोशल मीडिया में योगी को लेकर बहुत भावुक बातें लिखी हैं। राजवीर लिखते हैं कि जिन्होंने अपनी व्यस्तता के कारण अपने पिता के अंतिम संस्कार में जाना उचित नहीं समझा, वे मेरे पिता के निधन के बाद लगातार तीन दिनों तक उनके साथ रहे। बड़े बेटे की तरह योगी आदित्यनाथ लखनऊ के अस्पताल से लेकर कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार तक हर समय साथ खड़े रहे। इसके लिए मैं योगी आदित्यनाथ के सामने सामने नतमस्तक हूं। राजवीर सिंह को लोग राजू भैया भी कहते हैं। योगी को लेकर उनकी ये टिप्पणी सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन 21 अगस्त को लखनऊ के एसजीपीजीआई में हो गया। योगी आदित्यनाथ को जैसे ही दुखद खबर का पता चला वे भागे भागे अस्पताल पहुंचे। कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर को लेकर उनके घर पहुंचे। वहां शांति पाठ शुरू करवाया फिर अगले दिन विधानसभा और बीजेपी के उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। फिर दोपहर बाद कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर को लेकर उनके गृह ज़िले अलीगढ़ पहुंचे। सारा इंतज़ाम उनकी ही निगरानी में होता रहा। योगी ने उनके लिए लिखा ”राम भक्ति में तज दिया अपने सिर का ताज, राम शरण की ओर चले, परम राम भक्त आज।” सब जानते हैं कि जब अयोध्या मैं विवादित ढांचा 6 दिसंबर 1992 को गिराया गया था तब कल्याण सिंह ही यूपी के सीएम थे। उन्होंने कार सेवकों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया। सारी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ली और फिर मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया। कल्याण सिंह के नाम में हिंदुत्व की धार और बैकवर्ड पॉलिटिक्स की शक्ति छिपी थी। यूपी चुनाव में विजय के लिए ये दोनों बीजेपी के लिए ज़रूरी है। कल्याण सिंह के निधन के बाद योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार ने जिस तरह से उन्हें मान सम्मान दिया, उसकी बड़ी चर्चा है। योगी आदित्यनाथ के गुरू महंत अवैद्यनाथ और कल्याण सिंह बहुत अच्छे मित्र थे। दोनों ही राम जन्म भूमि आंदोलन के अगुआ रहे। अवैद्यनाथ संतों की तरफ़ से जबकि कल्याण सिंह बीजेपी की ओर से। जब तक कल्याण सिंह अस्पताल में रहे योगी आदित्यनाथ लगातार उनका हाल चाल लेने अस्पताल जाते रहे।कई बार तो एक दिन में उन्हें देखने दो दो बार तक गए। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कल्याण सिंह के नाम पर अयोध्या में जन्म भूमि मंदिर की ओर जाने वाली सड़क का नाम करने का फ़ैसला किया है। योगी आदित्यनाथ की छवि अब तक हिंदुत्व वाली रही है लेकिन कल्याण सिंह के निधन के बाद इसमें पिछड़ों के शुभचिंतक वाली इमेज भी जुड़ने लगी है।
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