ब्लड शुगर ‎को कंट्रोल करने में आहार की बडी भू‎मिका

नई दिल्ली । हम जो भी आहार लेते हैं, वह ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खाने के बाद ब्लड शुगर के स्तर में वृद्धि को पोस्टप्रांडियल या हाइपरग्लाइसेमिया कहा जाता है। यह स्पाइक कई कारकों से प्रभावित होता है जैसे भोजन की मात्रा, भोजन का समय, आपकी दवा का समय और आपके द्वारा खाए जा रहे खाद्य पदार्थ। हाल ही में न्यूट्रिशनिस्ट नमामी अग्रवाल ने भोजन के बाद ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने के लिए कुछ सुझाव शेयर किए।डायबिटीज के मरीजों को काफी सावधानी से खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। उन्हें हमेशा कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ खाना चाहिए। ग्लाइसेमिक इंडेक्स आपके ब्लड शुगर के स्तर पर खाए गए भोजन के प्रभाव का संकेत देता है। कम जीआई स्कोर वाले खाद्य पदार्थ फायदेमंद होते हैं। यदि आप डायबिटीज रोगी हैं, तो आपको सुबह से ही अपने भोजन पर नजर रखनी चाहिए। मिठाई, सफेद ब्रेड और अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें। ये भोजन के बाद ब्लड शुगर को बढ़ा सकते हैं। भोजन की योजना बनाने से आपको हेल्दी भोजन करने में मदद मिलती है। यह आपके ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है। पोषण विशेषज्ञ भी एक ही बार अधिक भोजन करने के बजाय थोड़ी मात्रा में कई बार खाने की सलाह देते हैं। यह ब्लड शुगर में अचानक होने वाले उतार-चढ़ाव को रोकने में मदद करता है। स्टडी में भी पाया गया है कि 3 बार अधिक भोजन के बजाय थोड़ी मात्रा में भोजन खाने से ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद मिल सकती है। आपके ब्लड शुगर के स्तर पर कार्बोहाइड्रेट का बड़ा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, डायबिटीज रोगियों को आमतौर पर कम कार्बोहाइड्रेट लेना चाहिए या हेल्दी कार्ब्स खाना चाहिए। आपको अत्यधिक प्रोसेस्ड कार्ब्स का सेवन करने से बचना चाहिए। साथ ही दैनिक कार्ब सेवन पर नज़र रखने से भी ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। स्वस्थ आहार के साथ-साथ एक्सरसाइज भी ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारी एक्सरसाइज न करें और धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ाएं। बता दें ‎कि यदि आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो आप पहले से ही जानते होंगे कि ब्लड शुगर के स्तर पर नज़र रखना बहुत जरूरी है। अगर आप अपने ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित नहीं करते हैं, तो डायबिटीज की जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है। इसके कारण हृदय रोग, त्वचा से जुड़ी समस्या, तंत्रिका को नुकसान, पैर में परेशानी और कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं।