वॉशिंगटन । रंगभेद को लेकर अमेरिका में भेदभाव को की घटनाएं दुखद है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने माना कि एशियाई-अमेरिकी लोगों के खिलाफ नफरत की भावना से अंजाम दिए जाने वाले अपराध बढ़ रहे हैं तथा उन्होंने नौ वर्ष पहले एक गुरुद्वारे में श्वेतों को श्रेष्ठ मानने वाले व्यक्ति की ओर से की गई गोलीबारी में सिख लोगों के मारे जाने पर दुख जताया। बाइडेन ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा, ‘2012 में आज के दिन, मैं एक सिख मित्र के साथ था और हमें कट्टरता के घृणित कृत्य में विस्कॉन्सिन के ओक क्रीक में एक गुरुद्वारे में 10 लोगों को गोली मारे जाने की घटना का पता चला। उस दिन सात लोगों की मौत हो गई थी। आज हम इस त्रासदी के प्रत्येक पीड़ित को सम्मान देते हैं।’ एएपीपी के मानवाधिकार नेताओं के साथ बैठक में बाइडेन ने माना कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान एशियाई-अमेरिकियों से नस्ली घृणा के कारण अपराध, उत्पीड़न, दमन और भेदभाव बढ़े हैं। उन्होंने कहा, ‘यह रुकता नहीं दिख रहा है।’व्हाइट हाउस में बाइडेन की बैठक में कई भारतीय अमेरिकियों को आमंत्रित किया गया। इनमें नेशनल कोलिशन फॉर एशियन पैसिफिक अमेरिकन कम्युनिटी डेवलेपमेंट की सीमा अगनानी, सिख कोलिशन की सतजीत कौर, सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड (एसएएलडीईएफ) की किरण कौर गिल और इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट के नील मखीजा शामिल रहे। एक अलग बयान में धर्म और शिक्षा पर सिख परिषद के अध्यक्ष राजवंत सिंह ने नस्ली घृणा और हिंसा के खिलाफ ‘कड़े रुख और सहानुभूति’ के लिए बाइडन का आभार व्यक्त किया। सिंह ने कहा, ‘हाल के वर्षों में श्वेत वर्चस्ववादी समूह बढ़े हैं और वे अमेरिका में अन्य अल्पसंख्यक समूहों को धमका रहे हैं। राष्ट्रपति बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का रुख इस अहम मुद्दे पर स्पष्ट है।’कांग्रेस में एशियाई प्रशांत अमेरिकी कॉकस की अध्यक्ष जूडी चू ने कहा, ‘आज हम घरेलू आतंकी हमले के सात पीड़ितों को याद करते हैं और उन्हें सम्मान देते हैं तथा अपने आप को शांति एवं खुलेपन के मूल्यों के प्रति पुन: समर्पित करते हैं जो सिख धर्म की विशेषता है। हमें श्वेत वर्चस्ववाद, विदेशियों के प्रति घृणा की भावना और कट्टरता को भी नकारना होगा जो नफरत को भड़का रही हैं तथा जिससे लोगों की जान पर खतरा है। बिना किसी नस्ल, धर्म या जातीयता की परवाह किए बिना प्रत्येक अमेरिकी को अपने घर और अपने समुदाय में सुरक्षित महसूस करने का हक है।’ नस्ली घृणा अपराध के पीड़ितों को याद करते हुए कांग्रेस सदस्य बारबरा ली ने कहा कि देश को विदेशियों के प्रति घृणा की भावना, नस्लवाद और बंदूक हिंसा से लड़ने की पुन: प्रतिबद्धता जतानी चाहिए।
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