प्रयागराज। गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है। गुरुवार की दोपहर गंगा का पानी त्रिवेणी बांध स्थित लेटे हनुमान मंदिर तक पहुंच गया है। ऐसी मान्यता है कि बरसात के दिनों में हर वर्ष गंगा का पानी हनुमान जी को स्नान करने पहुंचता है। हनुमान मंदिर में ज्यों ही गंगाजल पहुंचा, भक्त जयकारे लगाने लगे। गंगा का जलस्तर प्रयागराज में करीब ५ सेमी बढ़ रहा है।गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर एक दिन के ठहराव के बाद फिर बढ़ने लगा है। बुधवार की सुबह धौलपुर बैराज से चंबल नदी में १७.८१ लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया तो प्रयागराज में अलर्ट कर दिया गया है। पानी अगले तीन दिनों में यहां आएगा तो मुश्किल पैदा कर सकता है। इसके मद्देनजर जिला प्रशासन बचाव की तैयारी में जुटा है। वहीं नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) को भी बुला लिया गया है।गंगा में हरिद्वार, नरौरा और कानपुर बैराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। पिछले दिनों यह पानी खतरे के निशान की ओर तेजी से बढ़ा है। मंगलवार को जलस्तर धीरे-धीरे कम होने लगा था। बुधवार को फिर बढ़ोतरी हुई तो घाट किनारे रहने वाले लोगों का पलायन शुरू हो गया। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोग दूसरी जगह शिफ्ट होने लगे हैं। संगम क्षेत्र में पानी बढ पर तीर्थ पुरोहित बांध पर तख्त लगा लिए हैं। यहां स्नान करने वालों को गहरे पानी में जाने से रोका जा रहा है।जलस्तर फाफामऊ : ८१.३९ मीटर,छतनाग :८०.६० मीटर,नैनी : ८१.२२ मीटर खतरे का निशान : ८४.७३ मीटर।गंगा की अपेक्षा यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। बुधवार की सुबह १७.८१ लाख क्यूसेक पानी मध्य प्रदेश के धौलपुर बैराज से छोड़ा गया है। वह पानी चंबल नदी से होते हुए यमुना में सात अगस्त तक प्रयागराज आने की संभावना है। वह पानी आय तो गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर जा सकता है। उसे देखते हुए यहां पर अलर्ट जारी कर दिया है।एडीएम वित्त एवं राजस्व एमपी सिंह ने बताया कि शहर के अलावा मेजा, करछना और बारा तहसील के कुछ गांव बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हैं। वहां के एसडीएम लगातार निगरानी कर रहे हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में रह रहे लोगों के बचाव के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं। एनडीआरएफ की टीम बुला ली गई है। नाव की भी व्यवस्था कर ली गई है। शहर में बलुआघाट, करैलाबाग, करेली, अशोक नगर, सलोरी, नेवादा, राजापुर, बेली आदि में बाढ़ का खतरा है। वहां भी लोगों को सतर्क कर दिया गया है।
Share on Facebook
Follow on Facebook
Add to Google+
Connect on Linked in
Subscribe by Email
Print This Post