सांस्कृतिक धरोहर प्रत्येक देश का आईना- मंडलायुक्त

 

प्रयागराज।उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के समाज विज्ञान विद्या शाखा के तत्वावधान में बुधवार को भारतीय सांस्कृतिक विरासत विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि  संजय गोयल आयुक्त प्रयागराज मंडल ने कहा कि सांस्कृतिक धरोहर प्रत्येक देश का आईना होता है। उन्होंने भारत देश को महापुरुषों की कर्म स्थली बताते हुए कहा कि अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की पहचान है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता दूसरी संस्कृतियों को बिना क्षति पहुंचाए अपने अस्तित्व को बनाए रखना है। हमारे यहां अतिथि देवो भव की परंपरा भारतीय संस्कृति के मूल में रही है। मंडलायुक्त  गोयल ने भारतीय संविधान में वर्णित अधिकारों तथा कर्तव्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि हम सभी नागरिकों का यह परम कर्तव्य है कि हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान तथा संरक्षण करना चाहिए। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों में विभिन्न जनजातियों गारो, खासी तथा जयंतिया की जीवन शैली का उल्लेख किया तथा भाषाओं की विविधता के साथ-साथ धार्मिक विविधता जैनधर्म, बौद्ध धर्म का सिख धर्म का भी उल्लेख किया।  गोयल ने भारत की विभिन्न परंपराओं, त्योहारों तथा गंगा जमुनी संस्कृति का उल्लेख करते हुए प्रयागराज के कुंभ मेले के सांस्कृतिक महत्व को प्रतिपादित किया।अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति एक मूल्य दृष्टि है। संस्कृति देश की आत्मा तथा प्रेरणा स्रोत है। जिसके आधार पर राष्ट्र अपने लक्षण तथा आदर्शों का निर्माण करता है। संस्कृति संस्कारों की अभिव्यक्ति है। कुलपति प्रोफेसर सिंह ने प्राचीन भारत के महान विद्वानों तथा वैज्ञानिकों आर्यभट्ट, वाराहमिहिर तथा पतंजलि जैसे प्रसिद्ध व्यक्तित्वों का उल्लेख करते हुए उन्हें भारत की धरोहर बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति सर्व समावेशी संस्कृति, मूल्यों, परंपराओं तथा चिंतन का सुंदर समन्वय है।इस अवसर पर वेबीनार के मुख्य वक्ता प्रोफेसर ओंकार नाथ सिंह, विभागाध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने भारतीय संस्कृति का उल्लेख करते हुए भारतीय एकता को मूल तत्व बताया। उन्होंने सिंधु सभ्यता के सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला तथा काशी क्षेत्र में स्थित सारनाथ के ऐतिहासिक महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने बौद्ध परिपथ, सारनाथ, लुंबिनी, बोधगया तथा कुशीनगर के ऐतिहासिक महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने गुजरात में धौलावीरा नामक पुरातात्विक स्थल को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत की सूची में शामिल किए जाने की नवीनतम जानकारी प्रदान की।कार्यक्रम के प्रारंभ में वेबीनार के संयोजक प्रोफेसर एस कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन तथा संयोजन डॉ सुनील कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ संजय कुमार सिंह ने किया।राष्ट्रीय वेबीनार में डॉ आनंदानंद त्रिपाठी, डॉ त्रिविक्रम तिवारी, रमेश चंद्र यादव, डॉ दीपशिखा श्रीवास्तव, डॉ अभिषेक सिंह,मनोज कुमार तथा उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।