प्रयागराज।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लूट और हत्या के आरोपी लाइनमैन राम नरेश उर्फ खूनी के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है। उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि भूमिका भिन्न होने के कारण सह अभियुक्तों को मिली जमानत की पैरिटी (समानता) याची को नहीं दी जा सकती। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने रामनरेश खूनी की अर्जी पर दिया है।वीरेंद्र गुप्ता द्वारा आगरा के पिनाहट थाने में दर्ज एफआइआर के अनुसार २४ नवंबर २०१९ को वह शाम को दुकान बंदकर घर आया तो गेट अंदर से बंद था। पत्नी को आवाज दी,लेकिन उसने दरवाजा नहीं खोला और न कोई आहट मिली। इसके बाद पड़ोसी के लड़के ने दीवार फांदकर अंदर से दरवाजा खोला तो देखा पत्नी खून से लथपथ किचन में पड़ी थी।हाथ और पैर बंधे थे। सिर व गले में चोट थी। कमरों में सामान बिखरा हुआ था। चार लाख १० हजार रुपये नकदी,३५ तोला सोने-चांदी के जेवर और एक किलो चांदी गायब थी। याची का कहना था कि वह बिजली विभाग में संविदा पर लाइनमैन का काम करता है। पार्टीबाजी के कारण झूठा फंसाया गया है। एक लाख ४३हजार ५०० की नकदी बरामदगी झूठी दिखाई है। तीन सह अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है। उसे भी रिहा किया जाय। वह चार दिसंबर २०१९ से जेल में बंद हैं।सरकारी वकील का कहना था कि मृतका वीरवती की १५ साल की बेटी जिसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, घटना की चश्मदीद गवाह है। वह चिल्ला रही थी कि खूनी खूनी। अन्य अभियुक्तों से गहने भी बरामद किए गए हैं।
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