जीवन में जो है उसे ही साहित्य में लाना चाहिए:डा० सिंह

प्रयागराज।कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के साहित्य के सभी पात्र एवं कहानी एक मंच पर आ गई। अवसर था कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की १४१ वीं जयंती के अवसर पर आयोजित विशेष व्याख्यान एवे संवाद का जिसे आयोजित किया था इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजभाषा अनुभाग ने ।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता हिंदुस्तानी एकेडेमी, के अध्यक्ष डा० उदय प्रताप सिंह ने अपने वक्तव्य एवं छात्र संवाद में कहा कि साहित्य यर्थातवादी होता है। जीवन में जो है उसे ही साहित्य में लाना चाहिए। प्रेमचंद भारतीय समाज के विरूद्ध कहीं दिखाई नहीं देते हैं। प्रेमचंद धारा विशेष पर आधारित साहित्य के विरोधी हैं वे बुनियादी चिंताओं से टकराते हैं। प्रेमचंद आलोचक नहीं थे लेकिन ‘साहित्य का उद्देश्य’ में आलोचना के बीज शब्दों में रखते थे। ‘काबुलीबाला’ कहानी में प्रेमचंद आलोचक की भूमिका में दिखाई देते हैं। प्रेमचंद साहित्य में यर्थात को चित्रित करते हैं।उन्होंने कहा कि माननीय कुलपति महोदया प्रो० संगीता श्रीवास्तव के विश्वविद्यालय में कुलपति बनने के बाद विश्वविद्यालय में इस तरह के आयोजनों को गति मिली है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय का राजभाषा अनुभाग छात्र/छात्राओं के लिए इस तरह के संवाद आयोजित करता रहता है ये खुशी की बात है। विषय प्रस्तावना एवं स्वागत वक्तव्य में राजभाषा कार्यान्वयन समिति के संयोजक प्रो० योगेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि भारत गांवों का देश है। आगे आने वाले समय में गांव बचेंगे कि नहीं ये भी सोचने का विषय है। यदि भारत के गांवों को समझना है तो प्रेमचंद के साहित्य से के अलावा कोई दूसरा माध्?यम नहीं हो सकता।राजभाषा अनुभाग के अनुवाद अधिकारी ने मुख्य वक्ता परिचय देते हुए कहा कि आज हम प्रेमचंद की १४१ वीं जयंती मना रहे हैं लेकिन आज भी कथा सम्राट की कहानियां पढ़ो तो ऐसा लगता है कि सब कुछ अभी घटित हुआ हो। छात्र/छात्राओं ने अपने सवालों के लिए मुख्य वक्ता से सीधे संवाद किया ।इस कार्यक्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं संघटक कालेजों के लगभग ५०० छात्र/छात्राएं विभिन्न माध्यमों से लाइव जुडे। इस अवसर पर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के सदस्य डा० कल्पना वर्मा, डा० दीनानाथ, डा० वीरेन्द्र मीणा, डा० विनम्रसेन सिंह, डा० रमेश सिंह, डा० विवेक निगम, डा० सुजीत सिंह, डा० अमितेश कुमार एवं अत्यधिक संख्या में कर्मचारी एवं छात्र/छात्राएं उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन डा० आदित्य त्रिपाठी, असि. प्रोफेसर ( एस.एस. खन्ना डिग्री कालेज ) ने किया वहीं कार्यक्रम का संचालन अनुवाद अधिकारी हरिओम कुमार ने किया।