प्रयागराज। हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी पुलिस-प्रशासन खतरनाक चाइनीज मंझा की बिक्री पर रोक नहीं लगा पा रहा है और नतीजतन लोग इसकी चपेट में आकर जान गंवा रहे हैं। इधर कई रोज से अक्सर लोग चाइनीज मंझा की जद में आकर जख्मी हो रहे थे लेकिन अब इसकी वजह से बेहद दुखद हादसा हो गया। लचर व्यवस्था और जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही ने एक शख्स की जान ले ली। नए यमुना पुल पर मांझा की चपेट में आने से ३८ वर्षीय तीरथ नाथ का गला जख्मी हो गया जिससे उसकी मौत हो गई। प्रतिबंध के बावजूद चाइनीज मंझे की बिक्री और उसका इस्तेमाल फिर जान पर भारी पड़ा है।सिविल लाइन थाना क्षेत्र के तेज बहादुर सप्रू रोड पर रहने वाले तीरथ नाथ पुत्र बृजलाल प्राइवेट काम करते थे। बताया जाता है कि बुधवार को वह किसी काम से घूरपुर गए थे। इसके बाद शाम को वापस बाइक से घर लौट रहे थे। नए यमुना पुल पर पहुंचे, तभी अचानक उनके गले में खतरनाक मंझा फंस गया। गला जख्मी होने पर आनन फानन उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी सांस थम गई। डाक्टरों ने बताया कि उनकी श्वांस नली में गहरा घाव हो गया था। तीरथ लाल की मौत से परिवार में मातम छा गया। इस घटना की खबर पाकर पहुंची पुलिस ने परिवार के लोगों से पूछताछ की। फिर शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। इस घटना से पहले भी नए यमुना पुल, अलोपी बाग फ्लाईओवर, हाई कोर्ट पानी टंकी आरओबी समेत कई स्थान पर चाइनीज मंझा की चपेट में आने से लोग गंभीर जख्मी हो चुकी है। हताहत हो चुके हैं। कुछ साल पहले चौफटका फ्लाई ओवर पर चाइनीज मंझा की चपेट में आने से डीआरएम कार्यालय में नियुक्त कालिंदीपुरम कालोनी निवासी महिला रेलकर्मी की भी मौत हो गई थी। नए यमुना पुल पर भी दोपहिया सवार लोग चाइनीज मंझा की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं। पिछले तकरीबन दस साल के दौरान प्रयागराज में नौ लोग मंझा की वजह से गर्दन कटने से काल के गाल में समा गए जबकि घायल होने वालों की संख्या तो सैकड़ों में हैं। इतने के बावजूद अब तीरथ नाथ की मौत ने अफसरों की कार्यशैली और मंझा की बिक्री पर प्रतिबंध को लेकर बरती जा रही लापरवाही को उजागर कर दिया है।बड़ी संख्या में मौत और लोगों के घायल होने के बाद प्रदेश में चाइनीज मंझा की बिक्री पर हाई कोर्ट से पाबंदी के बाद भी शासन और पुलिस-प्रशासन आदेश का पालन कराने में पूर तरह नाकाम साबित हो चुका है। रोज-रोज लोग मंझा से घायल हो रहे हैं, मौत हो रही है और एसएसपी से लेकर थानेदार तक यही दावा करते रहते हैं कि छापेमारी होती है, बिक्री पर रोक लगाने का पूरा प्रयास हो रहा है। सच तो यह है कि पुलिस-प्रशासन को मौतों की जैसे फिक्र ही नहीं, छापेमारी का केवल दिखावा किया जाता है।
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