प्रयागराज। प्रयागराज में भले ही बारिश मनमाफिक नहीं हो रही है लेकिन यहां गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है। मंगलवार को गंगा-यमुना का संगम क्षेत्र लगभग एक किमी पश्चिम की ओर हो गया है। किला घाट की ओर गंगा का पानी आने के कारण वहां घाटियों की धड़कन भी तेज होने लगी हैं। गंगा घाट से वे अपने सामान को हटाने लगे हैं। हालांकि अभी त्रिवेणी बांध से गंगा काफी दूर हैं। यहां आपको बता दें कि हर वर्ष त्रिवेणी बांध स्थित लेटे हनुमान मंदिर में गंगा का पानी पहुंच जाता है। ऐसी मान्यता है कि गंगा जी हनुमान को स्नान कराने हर बार बारिश के मौसम में जरूर आती हैं।बता दें कि इसी जून में भी गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ा था, जिससे तटीय इलाके के लोगों में दहशत आ गई थी। अचानक गंगा का प्रयागराज में जलस्तर ने रफ्तार पकड़ लिया है। हरिद्वार, नरौरा और कानपुर के बांधों से छोड़ा गए ३.५० लाख क्यूसेक पानी के यहां पहुंचने से ऐसा हुआ था। इसका असर गंगा के फाफामऊ घाट पर दिखने लगा था। प्रतिघंटा ३ सेंटीमीटर की स्पीड से जलस्तर बढ़ रहा था। वहीं यमुना नदी के जलस्तर में भी थोड़ी तेजी आई थी। इससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा था।अब एक बार फिर गंगा का जलस्तर बढ़ने लगा है। हालांकि अभी यमुना शांत ही है। पहले संगम झूंसी के निकट था। वहीं अचानक गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण मंगलवार को संगम क्षेत्र का पानी किला की ओर करीब एक किलोमीटर खिसक गया है। भले ही प्रयागराज में बारिश नहीं हो रही है लेकिन अन्य स्थानों पर बारिश का पानी गंगा में मिलकर इसके स्तर को बढ़ाने लगा है। मंगलवार को संगम किनारे तीर्थ पुरोहितों और घाटियों में अफरा-तफरी दिखी। वह लगे तख्त और सामान को दूर ले जाने लगे हैं।तटीय इलाको में एक बार फिर लोगों के कान खड़े हो गए हैं। हर वर्ष बरसात के मौसम में इन इलाकों में गंगा का पानी घुस जाता है। गंगा का जलस्तर बढ़ने से वहां रहने वाले लोग अभी से सचेत हो गए हैं। उनकी नजर गंगा-यमुना के जलस्तर पर है।गंगा का जलस्तर बढ़ने से बालू व मिट्टी की कटान भी तेज हो गई है। गंगा का दायरा बढ़ने से और लहरों के टकराने के कारण कटान बढ़ने लगा है।
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