प्रयागराज। किन्नर अखाड़ा की प्रदेश अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी कौशल्यानंद गिरि (टीना मा) ने कारगिल युद्ध के शहीदों को सोमवार को बैरहना स्थित आवास पर श्रद्धांजलि अर्पित किया। उन्होंने कहा कि आज २६ जुलाई को आपरेशन विजय का समापन कारगिल विजय से हुआ था। पाकिस्तान ने विश्वास मे लेकर जिस तरह से देश की पीठ में ख़ंजर भोका था वह बात सामने आने पर हर भारतीय की तरह मेरी भी रगो में सरसराहट दौड़ गई । उन्होंने कहा कि मन और मस्तिष्क में एक ही बात घर कर गई कि बदला। ग़द्दारी का बदला लेना है हरहाल में और सबक़ सिखाना है। भारतीय सेना की फ़ौलादी बाजुओं की शक्ति का अहसास करवाना है । उन्होंने कहा कि आखर हो क्यों न मेरे भी रक्त में फ़ौजी पिता का ही रक्त बह रहा है जिन्होंने भारत – चीन युद्ध में अपने पेट पर गोली खाई थी और जिनके घाव आज भी गरवीला एहसास करवाते हैं जिनके बुजुर्ग शरीर में आज भी युद्ध के नाम पर बिजली सी कौंध जाती है और सीमा पर जाने को आतुर हो जाते हैं उन्हीं वीर पिता की मैं भी संतान हूँ । किन्नर अखाडा की प्रदेश अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी कौशल्यानंद गिरि महाराज ने कहा कि कारगिल विजय मेरे जन्म के बाद हुई । यह भीषण लड़ाइयों में से एक है इसीलिए मेरे जीवन मे इसका विशेष स्थान है । कहा कि कारगिल युद्ध जो विश्व के सबसे ऊँचे स्थानों पर तापमान से – ४० और ५० डिग्री पर लड़ा गया था इस युद्ध ने पाकिस्तानीयों को वीरता का एैसा पाठ पढ़ाया जो उन्हें ७ पीढी तक याद दिलाता रहेगा। इस युद्ध में वीरता की कोई एक कहानी तो है नहीं जिसका वर्णन मैं करूँ एक से एक वीरता की प्रेरणा दायक कहानियाँ हैं । उन्होंने कहा कि कारगिल में जान न्योछावर करने वाले वीर सैनिकों को नमन करते हुए समस्त देशवासियों को कारगिल विजय दिवस की शुभकामनाएँ देती हू। इस दौरान नैना, शिवानी, राधिका, परी, मनीषा, सारिका, शोभा सहित अन्य शिष्य श्रद्धांजलि सभा मे शामिल हुए।
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