आंवले को हर मर्ज की दवा भी कहा जाता है। आंवले का नियमित सेवन दिल की बीमारी, डायबिटीज, बवासीर, अल्सर, दमा, ब्रॉन्काइटिस और फेफड़ों की बीमारी में राम बाण का काम करता है। आंवला के सेवन से बुढ़ापा दूर रहता है, यौवन बरकरार रहता है, पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है, आंखों की रोशनी, स्मरणशक्ति बढ़ती है, त्वचा और बालों को पोषण प्रदान करता है।
बुढ़ापा दूर करने के लिए-
लंबी उम्र के लिए आंवला रात के समय घी, शहद या पानी के साथ सेवन करना चाहिए। इसी तरह आंवला 3 से 6 ग्राम लेकर आंवले के रस और 2 चम्मच शहद और 1 चम्मच घी के साथ दिन में दो बार चटाकर दूध पीयें, इससे बुढ़ापा जाता है, यौवनावस्था प्राप्त होती है।
सफेद हुए बाल होंगे काले-
आंवला, रीठा, शिकाकाई तीनों का काढ़ा बनाकर सिर धोने से बाल मुलायम, घने और लंबे होते हैं। सूखे आंवले 30 ग्राम, बहेडा 10 ग्राम, आम की गुठली की गिरी 50 ग्राम और लोह चूर्ण 10 ग्राम रातभर कढ़ाई में भिगोकर रखें। बालों पर इसका प्रतिदिन लेप करने से छोटी आयु में सफेद हुए बाल कुछ ही दिनों में काले पड़ जाते हैं।
कुछ बीमारियों में आंवले के प्रयोग की विधि :
आंखों के रोग : 20-50 ग्राम आंवलों को पीस कर दो घंटे तक आधा किलोग्राम पानी में भीगोकर उस पानी को छानकर दिन में तीन बार आंखों में डालने से आंखों के रोगों में लाभ मिलता है।
नकसीर : जामुन, आम और आंवले को बारीक पीसकर मस्तक पर लेप करने से नासिका में रक्त रुक जाता है।
हिचकी : आंवला रस 10-20 ग्राम और 2-3 ग्राम पीपर का चूर्ण 2 चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
मितली : हिचकी और उल्टी में आंवले का 10-20 मिलीलीटर रस 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर देने से आराम होता है। यह दिन में दो-तीन बार दिया जा सकता है।
खट्टी डकारें : 1-2 ताजा आंवला मिश्री के साथ या आंवला रस 25 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम लेने से खट्टी डकारों की शिकायतें दूर हो जाती हैं।
पीलिया : लिवर की दुर्बलता और पीलिया निवारण के लिए आंवले को शहद के साथ चटनी बनाकर सुबह-शाम लिया जाना चाहिए।
कब्ज : लिवर बढ़ने, सिरदर्द, कब्ज, बवासीर और बदहजमी रोग से आंवला से बने त्रिफला चूर्ण को प्रयोग किया जाता है।
बवासीर : आंवला को पीसकर उस पीठी को एक मिट्टी के बर्तन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बरतन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है। बवासीर के मस्सों से अधिक रक्तस्राव होता हो, तो 3 से 8 ग्राम आंवला चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में दो-तीन बार करना चाहिए।
अतिसार : 5-6 नग आंवलों को जल में पीसकर रोगी की नाभि के आसपास लेप कर दें और नाभि की थाल में अदरक का रस भर दें। इस प्रयोग से अत्यन्त भयंकर अतिसार का भी नाश होता है। खुजली : आंवले की गुठली को जलाकर भस्म करें और उसमें नारियल तेल मिलाकर गीली या सूखी किसी भी प्रकार की खुजली पर लगाने से लाभ होता है।