नई दिल्ली। ताजा अध्ययन में पता चला है कि कई बार कैंसर सेल्स इलाज से बचने के लिए कुछ दिनों के लिए शरीर में फैलना बंद कर देते हैं और जैसे ही उन स्ट्रॉन्ग दवाओं के खिलाफ उनकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो जाती है वे दुबारा से अधिक स्ट्रॉन्ग होकर शरीर में फैलने लगते हैं। शोध के मुताबिक, जब किसी इंसान को कैंसर होता है तो उसके इलाज के लिए कई तरह की दवाओं और ट्रिटमेंट की मदद ली जाती है।ऐसे में कैंसर सेल्स खुद के अस्तित्व को बचाने के लिए कई बार कुछ दिनों के लिए बढ़ना बंद कर देते हैं और डॉक्टरों को यह लगता है कि कैंसर का बढ़ना रुक चुका है और पेशेंट का कैंसर नियंत्रण में है। लेकिन सच्चाई ये है कि दरअसल ऐसा होता नहीं। जब इलाज बंद हो जाता है तब कैंसर सेल्स खुद की इम्यूनिटी उन दवाओं और ट्रिटमेंट के खिलाफ तैयार करते हैं और जब उनकी इम्यूनिटी दवाओं के खिलाफ काम करने लगती है तो वे दुबारा से और अधिक स्ट्रॉन्ग होकर बढने लगते हैं। नए अध्ययन के अनुसार नए शोध के मुताबिक सभी कैंसर को दो श्रेणियों में रखा जा सकता है।शोध में जब सभी कैंसर को एक दूसरे से लिंक किया गया तो पाया गया कि सभी कैंसर सेल्स में या तो एस आसोसिएटेड प्रोटीन यानी यैप होते हैं या ये नहीं होते।अर्थात सभी कैंसर सेल्स या तो यैप ऑन कैटेगरी में होते हैं या यैप ऑफ कैटेगरी में होते हैं।इस शोध से डॉक्टरों को कैंसर के इलाज में काफी फायदा मिल सकता है। दरअसल शोध में कैंसर के लक्षण और उपचार आदि को देखते हुए जो दो कैटेगरीज सामने आई है इसकी मदद से कैंसर के इलाज में काफी मदद मिल सकती है।यही नहीं, समान लक्षण, उनके इलाज और प्रभाव का आंकलन और नए शोधों में भी इससे काफी सहूलियत मिल सकती है। अगर आप कैंसर पेशेंट हैं और इलाज के बाद आपका कैंसर थम गया है तो निश्चित रूप से ये आपके और आपके परिवारजनों के लिए बहुत बड़ी राहत की खबर होगी।लेकिन इसके बावजूद आपको खुद को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।
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