नयी दिल्ली| विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत मेकांग-गंगा क्षेत्र के देशों के साथ संपर्क का विस्तार और साझेदारी के आधार को व्यापक बनाने के लिए नए क्षेत्रों में सहयोग का निर्माण करना चाहता है।मेकांग-गंगा सहयोग (एमजीसी) के अस्तित्व के 20 साल पूरा होने पर श्री जयशंकर ने बुधवार को एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “हमारा उद्देश्य न केवल भौतिक बल्कि डिजिटल, आर्थिक और लोगों से लोगों की कनेक्टिविटी सहित इस क्षेत्र में व्यापक अर्थों में आपसी संपर्क को बढ़ावा देना है।”
वर्ष 2000 में शुरू किया गया मेकांग-गंगा सहयोग (एमजीसी) छह देशों – भारत और पांच आसियान देशों, यानी कंबोडिया, लाओस पीडीआर, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम द्वारा पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा, संचार और परिवहन में सहयोग के लिए एक पहल है।श्री जयशंकर ने कहा,“हमें सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान करके अपनी साझेदारी के आधार को व्यापक बनाने की जरूरत है। मेकांग और गंगा दोनों सभ्यतागत नदियाँ हैं, और एमजीसी पहल का उद्देश्य इन दो प्रमुख नदी घाटियों में रहने वाले लोगों के बीच घनिष्ठ संपर्क को सुविधाजनक बनाना है।” जयशंकर ने कहा कि एमजीसी छह देशों के बीच साझा भौगोलिक, ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों की मजबूत नींव पर खड़ा है।उन्होंने कहा,“यह सबसे पुराना उप-क्षेत्रीय सहयोग व्यापार, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के आदान-प्रदान के हमारे लंबे तथा समृद्ध इतिहास का उत्सव है क्योंकि यह हमारे लोगों के लिए प्रगति एवं समृद्धि लाने के लिए आधुनिक सहयोग को आगे बढ़ाने का एक माध्यम है।”
विदेश मंत्री ने कोरोना के प्रभाव का भी उल्लेख करते हुए कहा कि सदस्य देशों को यह पता लगाने की जरूरत है कि एमजीसी की साझेदारी महामारी के खिलाफ लड़ाई में सहयोग किस प्रकार प्रदान कर सकती है।उन्होंने कहा,“हम कोरोना महामारी से संबंधित व्यवधान से निपटने के दूसरे वर्ष में हैं। हमारे अनुभव से पता चलता है कि वायरस राष्ट्रीय सीमाओं का सम्मान नहीं करता है। इसलिए यह आवश्यक है कि महामारी की प्रतिक्रिया भी सामूहिक और सहयोगात्मक हो।”