कल के महास्नान में 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के शामिल होने की है संभावना
महाकुंभ प्रयागराज सनातन धर्म की सबसे बड़ा आयोजन महाकुंभ 2025 पिछले 14 दिनों से प्रयागराज शहर किया जा रहा है। माँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम तट लगने वाले इस महाकुंभ में अब तक 4 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई है। अदाणी समूह द्वारा इस महाकुंभ में सभी आगंतुकों को निःशुल्क भोजन प्रसाद उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया गया है। अदाणी समूह और इस्कॉन समूह के संयुक्त तत्वाधान में महाकुंभ के शुरुआती दौर से अब तक लाखों श्रद्धालुओं को भोजन प्रसाद उपलब्ध कराया है। अदाणी की इस महाप्रसाद वितरण सेवा के लिए यहां उपस्थित साधुओं के अखाड़ों द्वारा भी तारीफ किया है।
महाकुंभ के पंद्रहवें दिन मेरठ के सांसद और प्रसिद्ध धारावाहिक रामायण के राम, श्री अरुण गोविल ने मंगलवार को अदाणी और इस्कॉन के द्वारा महाप्रसाद वितरण सेवा में शामिल हुए। यहां उन्होंने अपने हाथों से श्रद्धालुओं को भोजन प्रसाद वितरण किया। इस महाप्रसाद सेवा के बारे में श्री अरुण गोविल ने कहा की,“अदाणी और इस्कॉन की यह निःशुल्क और निःस्वार्थ भोजन प्रसाद सेवा महाकुम्भ में श्रद्धालुओं के लिए बहुत बड़ी सेवा है। महाकुंभ अदाणी और इस्कॉन द्वारा गुणवत्ता युक्त सात्विक भोजन उपलब्ध करा रहा है। जो की एक सराहनीय कार्य है। इसके लिए मैँ अदाणी और इस्कॉन समूह को धन्यवाद और शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ।“वहीं इस महाप्रसाद सेवा के लिए गुजरात जूनागढ़ से पधारे गोरक्षनाथ मठ के महंत पीर श्री शेरनाथ जी महाराज ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा की अदाणी समूह द्वारा मेले में श्रद्धालुओं को महाप्रसाद उपलब्ध कराया जा रहा है जो की एक सराहनीय पहल है। मैँ समूह को तथा सभी सदस्यों को मेला समिति की ओर से धन्यवाद और शुभकामनाएं देता हूँ।“बुधवार को मौनी अमावस्या के महास्नान में 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं को आने की संभावना है। भारत का सबसे बड़ा राज्य उत्तरप्रदेश राज्य है। और प्रयागराज को तीर्थों का राजा भी कहा जाता है। जहां तीन पवित्र नदियों माँ गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है। सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब राहू अमृत कलश लेकर भाग रहा था तो अमृत की कुछ बुँदे छलक कर जिन स्थानों में गिरी हैं वहाँ पर कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है। जिनमें से हरिद्वार, नाशिक और उज्जैन भी एक है। हर छह साल में अर्धकुंभ और बारह सालों में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।