लिवर सिरोसिस धीमी गति से बढ़ने वाला रोग है। आम भाषा में कहें तो इस रोग में लिवर का आकार सिकुड़ने लगता है और उसमें कठोरता आने लगती है। इस रोग में लिवर की बहुत सारी कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और उनकी जगह फाइबर तंतु ले लेते हैं। साथ ही लीवर की बनावट भी असामान्य हो जाती है, जिससे पोर्टल हाइपरटैंशन की स्थिति पैदा हो जाती है। इस बीमारी का अंतिम इलाज लीवर प्रत्यारोपण यानि लिवर ट्रांसप्लांट है।
लिवर सिरोसिस का मुख्य कारण इसका गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाना है और ये होता है गलत खान-पान की आदतों और एल्कोहल के ज्यादा सेवन की वजह से। खान-पान में आमतौर पर वसायुक्त चीजों का ज्यादा सेवन से, ज्यादा नॉन वेज आहार लेने से और दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी होती है।
लिवर सिरोसिस की तीन अवस्थाएं
ये एक गंभीर बीमारी है और ये धीरे-धीरे शरीर पर असर करती है इसलिए इसके लक्षण 3 अवस्थाओं में अलग-अलग देखने को मिलते हैं। इन लक्षणों की सहायता से और शरीर की जांच द्वारा इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
पहली अवस्था में शरीर बेवजह थकान महसूस करने लगता है और इसका वजन घटना शुरू हो जाता है साथ ही पाचन संबंधी गडबडियां शुरू हो जाती हैं। दूसरी अवस्था में रोगी को बार-बार चक्कर आने लगता है और उल्टियां होने लगती हैं। इसके अलावा खाना खाने का मन नहीं करता है और बुखार बना रहता है।
तीसरी और अंतिम अवस्था में उल्टियों के साथ खून आने लगता है और मरीज को बेहोशी होने लगती है। इसके अलावा मामूली सी चोट लगने पर भी खून नहीं रुकता है। तीसरा स्टेज आ जाने पर मरीज पर दवाओं का असर नहीं होता है। इसके बाद एकमात्र विकल्प लिवर का ट्रांस्प्लांट बचता है, जो एक बेहद खर्चीला इलाज है।
लिवर सिरोसिस से बचने के उपाय
लिवर सिरोसिस जैसे गंभीर रोग से बचाव के लिए आपको अपने खान-पान की आदतों में सुधार करना होगा। एल्कोहल पदार्थों का सेवन इसकी सबसे बड़ी वजह है इसलिए इसे आपको तुरंत बंद कर देना चाहिए। इसके अलावा फास्ट फूड्स, वसा वाले आहार, लंबे समय तक नॉन वेज आहार और गंदा पानी पीने से भी ये रोग हो जाता है। इससे बचाव के लिए आपको अपने आहार में विटामिन्स और एंटी ऑक्सिडेंट्स से भरे फल, हरी सब्जियां, फल, गाजर, मूली, चुकंदर, सिंघाड़ा, सोयाबीन, अंडा, दूध आदि का सेवन करना चाहिए।