- डॉक्टरों ने इसे हृदय देखभाल चिकित्सा में एक नए युग की शुरूआत बताया
- धीमी हृदय गति के उपचार में हुआ एबॉट के लीडलेस पेसमेकर एवियर वीआर का इस्तेमाल
- मरीज को संक्रमण का जोखिम कम, आसानी से हटाए जाने में भी सक्षम
बरेली : दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने एक बार फिर चिकित्सा क्षेत्र में नई सफलता हासिल की है। भारत में पहली बार एक मरीज में लीडलेस पेसमेकर का प्रत्यारोपण हुआ है जो न सिर्फ मरीज के संक्रमण का जोखिम कम करता है बल्कि इसे आसानी से हटाया भी जा सकता है। नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के क्लिनिकल लीड और कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी में एक प्रतिष्ठित अग्रणी डॉ. वनिता अरोड़ा ने यह सफलता हासिल की है। इनका कहना है कि यह भारत में हृदय देखभाल चिकित्सा के क्षेत्र में एक नए युग की शुरूआत है।
डॉक्टरों का कहना है कि इस पहले सफल प्रत्यारोपण के साथ भारतीय कार्डियोलॉजी में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह सफलता पेसमेकर प्रौद्योगिकी में एक छलांग का प्रतिनिधित्व कर रही है और हृदय ताल प्रबंधन की आवश्यकता वाले मरीजों खासतौर पर जिन्हें संक्रमण का जोखिम बहुत ज्यादा हो सकता है, उनमें एक नई आशा भी लेकर आई है। डॉ. वनिता अरोड़ा ने बताया कि इनोवेटिव लीडलेस पेसमेकर को एक ट्रांसवेनस यानी कैथेटर-आधारित प्रक्रिया के माध्यम से प्रत्यारोपित किया गया। इसका फायदा यह हुआ कि पारंपरिक सर्जिकल चीरा की आवश्यकता खत्म हो गई और उसकी वजह से होने वाला उच्च जोखिम और संक्रमण का खतरा भी कम हो गया।
जानकारी के अनुसार, एबॉट कंपनी ने कुछ ही समय पहले एक लीडलेस पेसमेकर लॉन्च किया जो धीमी हृदय गति के उपचार में प्रत्यारोपित होता है। इसे एवियर वीआर के नाम से जानते हैं जिसमें प्रत्यारोपित होने से पहले स्थिति का आकलन करने की मैपिंग क्षमता है। अन्य की तुलना में इसकी बैटरी लाइफ भी अधिक है। डॉ. वनिता अरोड़ा ने बताया कि एक 75 वर्षीय महिला मरीज में इसका प्रत्यारोपण किया गया जो थकान, ऊर्जा की हानि और प्रीसिंकोप (ऐसा महसूस करना कि आप बेहोश होने वाले हैं) से परेशान थीं। चिकित्सा जांच के बाद मरीज में सिक साइनस सिंड्रोम का पता चला। यह एक ऐसी चिकित्सा स्थिति है जहां हृदय का प्राकृतिक पेसमेकर उम्र के साथ खराब हो जाता है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप के अलावा बार-बार मूत्र पथ के संक्रमण के चलते मरीज को पारंपरिक पेसमेकर सर्जरी से संबंधित जटिलताओं का उच्च जोखिम भी था। ऐसे में डॉक्टर ने एवियर वीआर लीडलेस पेसमेकर के साथ एक न्यूनतम इनवेसिव और ट्रांसवेनस प्रक्रिया के जरिए सफलता हासिल की। यह इसलिए ताकि चीरा और डिवाइस पॉकेट की आवश्यकता समाप्त हो गई। इसका एक फायदा यह रहा कि रोगी के संक्रमण का खतरा काफी कम हो गया।
डॉक्टर ने बताया कि एवियर वीआर लीडलेस पेसमेकर में कई अनूठी विशेषताएं हैं जिसमें इसे सुरक्षित हटाने या समायोजन के लिए पुनर्प्राप्ति क्षमता के साथ साथ दोहरे कक्ष उन्नयन की क्षमता और 17 साल तक की असरदार अवधि शामिल है। यह क्रांतिकारी उपकरण हेमोडायलिसिस के रोगियों और उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जिन्होंने पहले किसी पेसमेकर की वजह से संक्रमण का अनुभव किया है।
इसे लेकर दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के प्रबंध निदेशक श्री शिवकुमार पट्टाभिरामन ने कहा, “इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में, हमें भारत में हृदय देखभाल में नवीनतम प्रगति लाने में अग्रणी होने पर गर्व है। एवियर वीआर एबॉट लीडलेस पेसमेकर का सफल प्रत्यारोपण रोगी देखभाल में एक नए युग का प्रतीक है, जहां नवाचार करुणा से मिलता है। यह अग्रणी प्रक्रिया हमारे रोगियों को अत्याधुनिक तकनीक और विश्व स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल समाधान प्रदान करने के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शा रही है। इन क्रांतिकारी उपचारों को अपनाकर हम न केवल अपने रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर रहे हैं, बल्कि पूरे क्षेत्र में हृदय देखभाल में नए मानक भी स्थापित कर रहे हैं।”
वहीं इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के कार्डिएक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी विभाग की क्लिनिकल लीड डॉ. वनिता अरोड़ा ने कहा, “एवियर वीआर एबॉट लीडलेस पेसमेकर कार्डियक थेरेपी में एक गेम-चेंजर है। यह न्यूनतम इनवेसिव दृष्टिकोण पेश करता है जो सीधे तौर पर मरीजों के हित में है। पारंपरिक सर्जिकल प्रक्रियाओं में चीरा लगना जैसी चुनौतियों से आजादी भी देता है। यह तकनीक न केवल रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती है, बल्कि संक्रमण और जटिलताओं के जोखिमों को भी काफी हद तक कम करती है। वह भी तब, जब जटिल चिकित्सा स्थितियों वाले मरीजों में जोखिम ज्यादा हो। इस उन्नत पेसमेकर के उपयोग में अग्रणी होकर, हम न केवल देखभाल के मानक को बढ़ा रहे हैं बल्कि भारत में कार्डियक लय प्रबंधन के भविष्य को भी नया आकार दे रहे हैं। यह रोगी-केंद्रित समाधान प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है जो सुरक्षा, प्रभावशीलता और दीर्घकालिक कल्याण को प्राथमिकता देता है।”