विश्व डायबिटीज दिवस: जागरूकता से डायबिटीज मरीजों को सशक्त बनाना और निवारक कार्रवाई को बढ़ावा देना

लखनऊ: हर साल 14 नवंबर को विश्व डायबिटीज दिवस मनाया जाता है। इस विशेष दिन दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली बीमारी डायबिटीज के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च द्वारा हाल ही में किए गए रिसर्च से पता चला है कि भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से प्रभावित हैं। इतना बड़ा आंकड़ा बीमारी के प्रति रोकथाम के प्रयासों और स्वास्थ्य सेवा संसाधनों को बढ़ाने की बढ़ती मांग को दर्शाता है। डायबिटीज खास करके टाइप 2 अक्सर लाइफस्टाइल संबंधी आदतों की वजह से होती है। विश्व डायबिटीज दिवस मरीजों को उन सरल उपायों के बारे में शिक्षित करता है जिन्हें अमल में लाकर वे कॉम्प्लिकेशन को रोक सकते हैं।

रीजेंसी लखनऊ में पीडियाट्रिक एंडो डॉ. नेहा अग्रवाल ने कहा, “बेहतर जागरूकता और शिक्षा के माध्यम से मरीजों को सशक्त बनाना डायबिटीज की रोकथाम और मैनेजमेट के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमें शुरुआती पहचान पर ध्यान केंद्रित करने और लाइफस्टाइल में ऐसे बदलावों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है जो गंभीर डायबिटीज की वजह से होने वाली गंभीर कॉम्प्लिकेशन को रोकने में मदद कर सके। इस विश्व डायबिटीज दिवस पर हमारा लक्ष्य डायबिटीज के मैनेजमेंट में सक्रिय, सूचित विकल्पों के महत्व को बताना और जोखिम वाले लोगों के लिए स्थायी बदलावों का समर्थन करने हेतु संसाधनों को बढ़ावा देना है।”

इस साल विश्व डायबिटीज दिवस की थीम “Breaking Barriers, Bridging Gaps” है। इसमें इस बात को ध्यान में रखा गया है कि डायबिटीज देखभाल में बाधाओं को दूर किया जाए और डायबिटीज पीड़ित को हाई क्वॉलिटी वाली व्यापक देखभाल दी जाए जोकि सुलभ और सस्ती दोनों हो। डायबिटीज एक लॉन्ग टर्म बीमारी है जो ब्लड शुगर को रेग्यूलेट करने के लिए शरीर के सिस्टम को प्रभावित करती है और हृदय की बीमारियां, किडनी डैमेज, और दृष्टि हानि और तंत्रिका संबंधी जटिलताओं जैसी गंभीर और कभी-कभी जानलेवा बीमारियों का कारण बनती है। टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज खराब खानपान, एक्सरसाइज की कमी और मोटापे के कारण होती है। एक्सपर्ट के अनुसार, दोनों प्रकार के डायबिटीज का प्रभावी प्रबंधन तभी हो सकता है जब लोग इस बीमारी के बारे में जागरूक रहें, जल्दी इस बीमारी को पहचाने और सभी को प्रभावी इलाज उपलब्ध हो।

सार्वजनिक शिक्षा और निवारक उपायों में सुधार करना डायबिटीज के प्रभाव को कम करने का एकमात्र तरीका है। संतुलित पोषण, नियमित शारीरिक एक्सरसाइज और नियमित हेल्थ चेक अप आदि से डायबिटीज पर लगाम लगाई जा सकती है। लोगों को शुरुआती लक्षणों, उनके व्यक्तिगत जोखिम फैक्टर्स और कॉम्प्लिकेशन होने से पहले इलाज प्राप्त करने के लिए ज्यादा समुदाय-आधारित समर्थन और संसाधनों की उपलब्धता बढ़ाई जानी चाहिए।

विश्व डायबिटीज दिवस एक ऐसा दिन है जो हमें याद दिलाता है कि हमारे हेल्थकेयर सिस्टम में कमियों को दूर करने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य समुदायों की नीतियों और कार्यक्रमों को शिक्षा, रोकथाम और सेवाओं तक आसान पहुंच पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है इससे डायबिटीज के खतरे और मौत को कम किया जा सकता हैं। स्क्रीनिंग और सार्वजनिक शिक्षा में ज्यादा निवेश, सस्ती दवाएँ डायबिटीज की देखभाल को उन सभी के लिए सुलभ बना सकती हैं जिन्हें इसकी आवश्यकता है।

सुलभ स्वास्थ्य सेवा, मजबूत सार्वजनिक जागरूकता और वंचित आबादी के लिए लक्षित समर्थन को मिलाकर एक ठोस दृष्टिकोण के जरिए विश्व डायबिटीज दिवस हमें याद दिलाता है कि प्रीवेंटिव एक्शन (निवारक कार्रवाई) डायबिटीज की लहर को रोकने और लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। यह दिन इस बात पर जोर देता है कि सक्रिय कदमों को उठाने से हम एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं जहाँ डायबिटीज का पता लगाकर उसका प्रबंधन किया जा सके, समय रहते हस्तक्षेप किया जा सके और लाइफसेविंग (जीवन रक्षक) देखभाल को बिना किसी बाधा के पहुंचाई जा सके।

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