लंदन। एक ताजा अध्ययन में पाया गया है कि प्राचीन धरती पर शहरों के बराबर ऐस्टरॉइड टकराते रहते थे और इनकी संख्या पहले के आकलन से कहीं ज्यादा पाई गई है। अध्ययन के वैज्ञानिकों का कहना है कि हर 1.5 करोड़ साल पर हमारी धरती पर विशाल चट्टान आ गिरती थी। यह रिसर्च गोल्डश्मिट जियोकेमिस्ट्री कॉन्फ्रेंस में सामने रखी गई। इसके नतीजों से उस थिअरी पर और ज्यादा रिसर्च की अहमियत पता चलती है जिसके मुताबिक धरती पर जीवन के विकास के लिए ऐस्टरॉइड्स की भूमिका मानी जाती है। इस स्टडी के मुताबिक ऐसा सिलसिला अब से 2.5-3.5 अरब साल पहले तक चला करता था। इस दौरान धरती की सतह पर जो बदलाव होते थे, उनके बारे में सबूत आज चट्टानों की दरारों में मिलते हैं। बोल्डर, कोलराडो के दक्षिणपश्चिमी रिसर्च इंस्टिट्यूट में प्रिंसिपल साइंटिस्ट सिमोन मार्ची और उनके साथियों ने चट्टानों में स्फेरुल्स को स्टडी किया। ये वाष्पित चट्टान के बुलबुले होते हैं जो ऐस्टरॉइड की टक्कर पर स्पेस तक उछल जाया करते थे। वहां जमने के बाद धरती पर लौटते थे। आज इन्हें बेडरॉक में एक परत के रूप में देखा जा सकता है। टीम ने ऐस्टरॉइड इंपैक्ट के असर को समझने के लिए मॉडल तैयार किए और इसे स्फेरुल्स के बनने से जोड़ा। यह भी देखा गया कि ये दुनिया में कहां-कहां पाए गए हैं। स्टडीज के मुताबिक कोई ऐस्टरॉइड जितना बड़ा होता है, उसकी टक्कर से पैदा हुए स्फेरुल्स उसी तरह मोटी परत बनाते हैं लेकिन जब रिसर्चर्स ने बेडरॉक की अलग-अलग परतों में इनकी मात्रा को देखा और उसे अभी तक जानी गईं ऐस्टरॉइड्स की घटनाओं से मैच किया तो पाया कि दोनों में काफी अंतर था। मार्ची ने बताया कि स्फेरुल्स के आधार पर यह कहा जा सकता है कि धरती पर टकराने वाले ऐस्टरॉइड्स का पता लगाने वाले मॉडल अभी हम बहुत कम संख्या दे रहे हैं। यह असल में 10 गुना ज्यादा हो सकता है।धरती पर कई ऐस्टरॉइड्स के निशान क्रेटर्स की शक्ल में देखे जा सकते हैं लेकिन कई समय के साथ हल्के पड़ गए हैं। मेक्सिको के चीक्सूलुब इंपैक्ट क्रेटर के बारे में ही 1970 के दशक में पता चल सका था और कई साल बाद यह पता चला कि डायनोसॉर इसी ऐस्टरॉइड की वजह से धरती से गायब हो गए। हो सकता है कि ऐस्टरॉइड्स की टक्कर से धरती पर ऑक्सिजन के स्तर में अंतर आया हो और धरती पर जीवन का आधार पड़ा हो।
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