नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश के लखनऊ में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर ने ‘ब्लैक प्लम’ जामुन की एक नई प्रजाती विकसित की है। इस जामुन में 90 प्रतिशत से अधिक गूदा पाया जाता है। जिसका नाम जामवंत है। कानपुर के बिठूर क्षेत्र में किसानों द्वारा जामवंत की खेती की जाती है और यूरोपीय बाजार में ‘विदेशी’ उत्पाद के वर्ग में आने के कारण अब इसे लंदन में एक्सपोर्ट किया जा रहा है।जामुन की इस नई किस्म के पहले बैच का एक्सपोर्ट ‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद एक्सपोर्ट विकास प्राधिकरण’ द्वारा जून के पहले सप्ताह में किया गया था। सीआईएसएच लखनऊ के डायरेक्टर ने कहा कि “यह एक बड़ी सफलता है कि जामुन के औषधीय गुणों ने इसे इतना लोकप्रिय बना दिया है। वास्तव में, यह यूरोपीय बाजार में विदेशियों की पहली पसंद बन गया है।” इसमें विटामिन सी काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है। साथ ही इसके बायोएक्टिव कंपाउंड्स स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। इतना ही नही इसमें डायबिटीज विरोधी गुण भी होते हैं। जहां पहले लोग केवल \’काले बेर\’ के गूदे का सेवन करते थे, वहीं अब स्वास्थ्य प्रेमी इसके बीज को सुखाकर पाउडर के रूप में पीसकर सप्लीमेंट के रूप में भी सेवन करतें है।जामुन भारत और विदेशों में एक लोकप्रिय फल है और ब्लैक प्लम जामुन की शुरुआत के साथ इसकी एक्सपोर्ट क्षमता कई गुना बढ़ गई है। हालांकि जामुन को शुरू में समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग द्वारा खाये जाने वाले फल के रूप में माना जाता था। लेकिन अब इसे लगभग 300 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जा रहा है।
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