भारतीय बीपीएम कंपनियों द्वारा अपनी हायरिंग की रणनीतियों पर पुनर्विचार किए जाने की जरूरत – इनडीड-नैसकॉम रिपोर्ट

लखनऊ 25 अक्टूबर, 2024: इनडीड के साथ गठबंधन में नैसकॉम ने अपनी संयुक्त रिपोर्ट ‘बीपीएम शिफ्टिंग गियर्सः शेपिंग टोमॉरोज़ स्किल्स एंड करियर्स’ जारी की, जिसमें भारत में बीपीएम उद्योग में नौकरियों के विकसित होते हुए परिदृश्य के बारे में बताया गया। टेक्नोलॉजी में हो रही प्रगति, ग्राहकों की बदलती मांग और नए इंगेज़मेंट मॉडलों के साथ इस क्षेत्र में भी तेजी से परिवर्तन हो रहा है, जिससे विशेषज्ञ कौशल एवं नई भूमिकाओं की मांग पहले से काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। इस रिपोर्ट में बीपीएम संगठनों द्वारा पारंपरिक दैनिक कामों से आगे बढ़कर ज्यादा जटिल, रणनीतिक चुनौतियों को संबोधित किए जाने पर बल दिया गया तथा उभरते हुए कौशलों की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई, जो इस गतिशील उद्योग में काम का भविष्य निर्धारित करेंगे।
भारत में बीपीएम उद्योग स्थिर गति से बढ़ रहा है, जिसने वित्तवर्ष 2024 में 48.8 बिलियन डॉलर का राजस्व निर्मित किया था। यह प्रोसेस मैनेजमेंट से आगे बढ़कर एंड-टू-एंड ट्रांसफॉर्मेशन सॉल्यूशंस प्रदान करने की ओर परिवर्तित हो रहा है। फाईनेंस, अकाउंटिंग, और कस्टमर सर्विस जैसे कार्यों में टेक्नोलॉजी के इंटीग्रेशन, मुख्यतः जनरेटिव एआई के उपयोग से तेजी आ रही है, जिससे उत्पादकता एवं कॉस्ट ऑप्टिमाईज़ेशन बढ़ रहे हैं। लगभग 45 प्रतिशत बीपीएम कंपनियाँ अपना 12 प्रतिशत राजस्व टेक्नोलॉजी में खर्च करने की योजना बना रही हैं, तथा अगले 3 सालों में 20 प्रतिशत से ज्यादा खर्च करने वाली कंपनियों में 8 गुना वृद्धि होने का अनुमान है। इसके अलावा लोन प्रोसेसिंग, क्लेम प्रोसेसिंग, और राजस्व चक्र प्रबंधन जैसे विशेष माईक्रो-वर्टिकल्स पर भी ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
अगले 3 सालों में टेक्नोलॉजी द्वारा बीपीएम के क्षेत्र में नई नौकरियों के विकास में काफी तेजी आने की उम्मीद है। नए पदों में फाईनेंस के लिए डेटा साईंटिस्ट एनालिस्ट और एआई स्ट्रेट्जी डायरेक्टर, ह्यूमन रिसोर्स में एचआर डेटा साईंटिस्ट और चैटबॉट एचआर स्पेशलिस्ट तथा कस्टमर सर्विसेज़ में एआई कन्वर्सेशन डिज़ाईनर और वर्चुअल असिस्टैंट ट्रेनर की भूमिकाएं शामिल हैं। मौजूदा भूमिकाओं में भी विकास हो रहा है, और बीपीएम संगठनों द्वारा सर्टिफिकेशन और प्रशिक्षण द्वारा टेक्निकल क्षेत्रों, जैसे जनरेटिव एआई एवं एनालिटिक्स तथा सॉफ्ट स्किल्स में अपने कार्यबल का कौशल विकास किए जाने की जरूरत है। साथ ही उद्योग की जटिल चुनौतियों के समाधान के लिए डोमेन पर केंद्रित भूमिकाओं, जैसे लोन प्रोसेसिंग स्पेशलिस्ट और क्लेम स्पेशलिस्ट आदि की मांग भी बढ़ रही है, जिनके लिए 2 से 12 महीने तक के विशेषज्ञ सर्टिफिकेशंस की आवश्यकता है।
इस रिपोर्ट के बारे में शशि कुमार, हेड ऑफ सेल्स, इनडीड इंडिया ने कहा, ‘‘भारत में एआई और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के विकास के साथ बीपीएम सेक्टर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। दैनिक कामों का ऑटोमेशन होने के बाद अब विशेषज्ञ पदों की मांग बढ़ रही है, जिनके लिए जेन एआई, एनालिटिक्स और प्रोसेस ऑप्टिमाईज़ेशन में आधुनिक कौशल जरूरी होंगे। अब प्रोफेशनल्स ज्यादा रणनीतिक, प्रभावशाली पदों की ओर बढ़ रहे हैं, जो काम के भविष्य को आकार देंगे।
उन्होंने आगे कहा, ‘‘नौकरियाँ अब गहरी डोमेन विशेषज्ञता की ओर बढ़ रही हैं। अब उन प्रत्याशियों को ज्यादा महत्व मिलता है, जो औद्योगिक विशेषज्ञता के साथ तकनीकी कौशल रखते हैं। अगले तीन सालों में 80 प्रतिशत से ज्यादा संगठन अनुभवी प्रोफेशनल्स को नियुक्त करना चाहते हैं, जिससे संगठनात्मक संरचना में परिवर्तन आ रहा है। बीपीएम में एचआर, फाईनेंस, कस्टमर सर्विस और सप्लाई चेन मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में नए टेक्नोलॉजी केंद्रित पदों का विकास होने की संभावना है। संगठनों के लिए इनोवेशन और अनुकूलन की संस्कृति का विकास भारत में प्रतिभा को आकर्षित करने और बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।’
हरिता गुप्ता, चेयर, नैसकॉम बीपीएम काउंसिल ने कहा, ‘‘भारत में बीपीएम सेक्टर एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जो पारंपरिक प्रोसेस मैनेजमेंट से परिवर्तित होकर ट्रांसफॉर्मेटिव, टेक्नोलॉजी आधारित समाधान प्रदान करने की ओर बढ़ रहा है। जेन एआई जैसी विकसित होती हुई टेक्नोलॉजी उद्योग को आकार दे रही हैं, जिससे सभी तरह के कार्यों के लिए नए अवसरों और नई नौकरियों का निर्माण हो रहा है। इस परिवर्तन के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए बीपीएम संगठनों द्वारा निरंतर लर्निंग और अपस्किलिंग में निवेश करके प्रतिभाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। एआई, डेटा एनालिटिक्स, और विशेषज्ञ डोमेन नॉलेज में प्रोफेशनल्स की क्षमता का निर्माण इस परिवर्तन का पूरा लाभ उठाने और बीपीएम कार्यबल को भविष्य की डिजिटल अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।’’
जहाँ टेक्नोलॉजी एडॉप्शन विकास में मुख्य भूमिका निभाएगा, वहीं प्रतिभा की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है और हर 5 में से 4 संगठन कुशल प्रोफेशनल्स और उपलब्ध प्रतिभा की मांग के बीच बढ़ता अंतर दर्ज कर रहे हैं।
बीपीएम संगठनों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सर्वे में शामिल 47 प्रतिशत संगठनों ने पर्याप्त कौशल वाले प्रोफेशनल्स की कमी को अपनी सबसे बड़ी समस्या बताया और टेक्नोलॉजी में हो रही इस तीव्र प्रगति से प्रतिभा का यह अंतर बढ़ता चला जा रहा है। 45 प्रतिशत संगठनों के मुताबिक डेटा और साईबरसिक्योरिटी की समस्याएं बड़ी चुनौती पेश करती हैं, तथा डीपीडीपीए के क्रियान्वयन में मुश्किल और ग्लोबल आईटी आउटेज की वजह से संचालन में बाधा आती है। सर्वे में शामिल 43 प्रतिशत संगठनों के लिए उच्च एट्रिशन दरें (25 प्रतिशत – 30 प्रतिशत) गंभीर समस्या हैं, जिनसे संचालन और ग्राहक के साथ संबंध प्रभावित होते हैं। इसके अलावा, 39 प्रतिशत संगठन मार्जिन का दबाव महसूस करते हैं क्योंकि बीपीएम उद्योग में कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण लाभ का मार्जिन कम हो जाता है।
इन परिवर्तनों से होकर आगे बढ़ते रहने के लिए बीपीएम उद्योग को सही प्रतिभा, कौशल और रणनीतियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इसके लिए वो शिक्षा जगत के साथ साझेदारी करके उद्योग की जरूरतों और विकसित होती हुई टेक्नोलॉजी के अनुरूप विशेषज्ञ प्रोग्राम तैयार कर सकते हैं तथा एआई, डेटा एनालिटिक्स एवं क्रॉस-फंक्शनल स्किल्स में कोर्स प्रदान करने के लिए इन-हाउस लर्निंग प्लेटफॉर्म का निर्माण कर सकते हैं। संगठनों को करियर का स्पष्ट मार्ग तैयार करना चाहिए और उद्योग के सर्टिफिकेशन के लिए मेंटरिंग एवं विशेषज्ञ अवसर उपलब्ध कराने चाहिए। नई भर्तियों के लिए एनालिटिकल स्किल पर जोर दिया जाना और डेटा इंटरप्रेटेशन एवं विज़्युअलाईज़ेशन में निपुण प्रत्याशियों को प्राथमिकता दी जानी आवश्यक है। इसमें सरकार के सहयोग की भी आवश्यकता है, ताकि उद्योग की जरूरतों के मुताबिक डिजिटल स्किल्स, जनरेटिव एआई और डोमेन-स्पेसिफिक नॉलेज को अपडेटेड पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सके।