लखनऊ ।प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद, कुलपति केजीएमयू ने देश में बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन में अग्रणी भूमिका निभाई है। प्रो सोनिया नित्यानंद द्वारा वर्ष १९९९ में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में उत्तर प्रदेश राज्य का पहला सफल बीएमटी किया गया था। यह उस समय देश में चौथा बीएमटी कार्यक्रम था।तत्पश्चात उन्होंने २००३ में एसजीपीजीआई में क्लिनिकल हेमेटोलॉजी और बीएमटी के एक नए विभाग की स्थापना की।
जब वे वर्ष २०२१ में राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान की निदेशक चयनित हुई तो सरकारी संस्थानों में अंग और रक्त प्रत्यारोपण केंद्रों के महत्व और कमी को महसूस करते हुए, उन्होंने एक एकीकृत सुविधा के रूप में किडनी, लीवर और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के लिए एक नया केंद्र आरंभ किया। यह एकीकृत केंद्र, वर्तमान में निर्माणाधीन है। उत्तर प्रदेश सरकार से इसके लिए मद प्राप्त किया गया है।
अगस्त २०२३ में कुलपति केजीएमयू का कार्यभार संभालने के बाद, उन्हें केजीएमयू में किडनी ट्रांसप्लांट कार्यक्रम और बीएमटी कार्यक्रम को बढ़ावा देने की आवश्यकता महसूस हुई। आईसीयू की कमी के कारण गुर्दे का प्रत्यारोपण संभव नहीं हो पा रहा था।
प्रो सोनिया नित्यानंद ने एक वार्ड को आईसीयू में बदलने का निर्देश दिया। यह अब सभी आवश्यक सुविधाओं के साथ पूर्ण हो गया है और २७ सितंबर २०२४ को कुलपति द्वारा इसका उद्घाटन किया जा चुका है।इसी प्रकार उन्होंने हेमेटोलॉजी विभाग में एक विशेष हेपा-फ़िल्टर बीएमटी यूनिट की कमी देखी।
इसके लिए उन्होंने २.७५ करोड़ रुपये की लागत से केजीएमयू में अत्याधुनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट स्थापित करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और सुविधाओं (सीएसआर फंड के माध्यम से) को पूरी तरह से वित्तपोषित करने के लिए एक गैर सरकारी संगठन, आदित्य बिड़ला कैपिटल फाउंडेशन और कैनकिड्स सोसाइटी से अनुरोध किया।
आज ३ अक्टूबर २०२४ को कुलाधिपति केजीएमयू एवम राज्यपाल उत्तर प्रदेश की गरिमामयी उपस्थिति में राजभवन, लखनऊ में केजीएमयू, आदित्य बिरला कैपिटल फाउंडेशन एवम कैनकिड्स के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। माननीया कुलाधिपति महोदया ने हमेशा सीएसआर फंडिंग के तहत क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित किया है।केजीएमयू की इस बीएमटी यूनिट में प्रत्यारोपण की लागत काफी कम होगी। इसके द्वारा राज्य के सैकड़ों गरीब रक्त विकार रोगियों को बहुत कम दरों पर उपचार प्राप्त होगा।