भारत में किडनी स्टोन यानी किडनी की पथरी की समस्या बढ़ती जा रही है, जोकि एक चिंता का विषय है। किडनी स्टोन से देश की लगभग 12% आबादी प्रभावित है। किडनी स्टोन का निर्माण तब होता है जब मूत्र में कुछ केमिकल तरल सेवन और अपशिष्ट उत्पादों के बीच असंतुलन होने से क्रिस्टलीकृत हो जाते हैं। वैसे तो कई छोटे स्टोन मूत्र के जरिए अपने आप बाहर रूप से निकल जाते हैं, लेकिन जो बड़े स्टोन किडनी में ही रह जाते हैं वे बहुत गंभीर दर्द पैदा करते हैं और कंप्लीकेशंस को जन्म दे सकते हैं। इसलिए इस बीमारी की जल्दी पहचान और इलाज बहुत जरूरी हो जाता है।
किडनी स्टोन तब बनता है जब कैल्शियम, ऑक्सालेट और यूरिक एसिड जैसे केमिकल मूत्र में जम जाते हैं। इसके आम लक्षणों में पेट के निचले हिस्से में दर्द, मतली, मूत्र में खून आना या बदबूदार मूत्र होना आदि हैं। अगर स्टोन का आकार 5 मिमी से बड़ा है और मूत्रवाहिनी (यूरेटर) में हाइड्रो-यूरेटेरोप्रोटीन का कारण बनता है, तो बड़े स्टोन को निकालने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
किडनी स्टोन के बढ़ते ट्रेंड के लिए कई फैक्टर जिम्मेदार हैं। पर्याप्त पानी न पीने, एनिमल प्रोटीन का अत्यधिक सेवन करने और कुछ खाद्य पदार्थ जैसे कि गोभी और भिंडी, साथ ही मेवे खाने से होने वाला डीहाइड्रेशन इस समस्या को पैदा कर सकता है। मोटापा और परिवार में पहले किसी को किडनी स्टोन होने से इस बीमारी से ग्रसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ. राजीव कुमार MBBS, Ms (जनरल सर्जन), Mch यूरोलॉजी, सीनियर कंसल्टेंट, रीजेंसी हेल्थ लखनऊ में रीनल ट्रांसप्लांट और रोबोटिक्स में फेलोशिप, सक्रिय प्रबंधन के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “हम किडनी की पथरी के केसों में वृद्धि देख रहे हैं, जिसका मुख्य कारण खराब हाइड्रेशन और ज्यादा नमक वाली डाइट का सेवन है। यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति किडनी स्टोन से बचने के लिए निवारक उपाय करें जैसे कि खूब पानी पीना, नमक का सेवन कम करना और पशु प्रोटीन से बचना आदि। इसके अलावा शुरुआती लक्षणों के बारे में जागरूकता और नियमित जांच से पथरी का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है, जिससे समय पर इलाज़ किया जा सकता है और भविष्य की कंप्लीकेशंस को रोका जा सकता है। किडनी की पथरी को काफी हद तक रोका जा सकता है और सही लाइफस्टाइल में बदलाव करके कई लोग इससे जुड़ी गंभीर परेशानी और संभावित स्वास्थ्य खतरों से बच सकते हैं।”
आधुनिक चिकित्सा में किडनी की पथरी के लिए कई इनोवेटिव ट्रीटमेंट के विकल्प मौजूद है। जैसे यूरेटेरोस्कोपी प्रक्रिया में मूत्रवाहिनी में पाए जाने वाले पत्थरों को निकालने या तोड़ने के लिए एक ट्यूब का उपयोग किया जाता है, जबकि ज्यादा गंभीर केसों में किडनी की पथरी के लिए परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी की आवश्यकता हो सकती है। यह एक ऐसी सर्जरी है जिसमें पीठ में एक छोटे से चीरे के माध्यम से पथरी को निकाला जाता है। रीजेंसी हेल्थ बिना किसी चीरे के किडनी की पथरी को निकालने के लिए लेजर ट्रीटमेंट के साथ रेट्रोग्रेड इंट्रारेनल सर्जरी (RIRS) जैसी एडवांस्ड तकनीक का उपयोग करता है।
रोकथाम किडनी स्टोन यानी किडनी की पथरी से बचने का सबसे उपयुक्त उपाय है। भरपूर पानी पीना, जैसे कि दिन में 12 गिलास से ज़्यादा, मूत्र को पतला करने में मदद करता है और पथरी बनने से रोकता है। डाइट में बदलाव, जैसे कि फलों और सब्जियों का सेवन बढ़ाना, पशु प्रोटीन और नमक को कम करना और चीनी के सेवन को नियंत्रित करना आदि से, पथरी बनने के खतरे को कम करने में भी मदद की जा सकती है। हाई रिस्क वाले लोगों के लिए नियमित मेडिकल चेकअप और CT स्कैन या KUB एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड KUB जैसे डायग्नोस्टिक इमेजिंग टेस्ट जल्दी पहचान और इलाज के लिए जरूरी हैं।
चूंकि भारत में किडनी की पथरी एक आम स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है, इसलिए लोगों को स्वस्थ लाइफस्टाइल अपनाने और इस दर्दनाक बीमारी को रोकने और मैनेज करने के लिए नियमित चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए।