लखनऊ। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में जल्द ही फेफड़ा प्रत्यारोपण की सुविधा मिलेगी। इसके लिए केंद्र सरकार से वार्ता की जा रही है। जल्द ही मंजूरी मिल सकती है। यह बातें शुक्रवार को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहीं।
केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की ओर से सेप्सिस जागरुकता दिवस पर कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि अभी प्रदेश में फेफड़ा प्रत्यारोपण नहीं हो रहा है। कोरोना काल में फेफड़ा प्रत्यारोपण के लिए कई मरीजों को दक्षिण भारत भेजा गया था। उत्तर प्रदेश में केजीएमयू में यह सुविधा शुरू की जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार से संपर्क स्थापित किया गया है। वार्ता जारी है।
डिप्टी सीएम ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान में तेजी से बदलाव आ रहे हैं। इसमें देश व उत्तर प्रदेश की भूमिका अहम है। यूपी के प्रत्येक जिले में मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं। इससे रोगियों को उनके घर के पास बेहतर इलाज मिल सकेगा। वहीं एमबीबीएस की पढ़ाई होगी। जिससे डॉक्टरों की कमी दूर होगी। हाल ही कई मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई को मान्यता मिली है। मेडिकल कॉलेजों में अव्वल दर्जे की पढ़ाई हो रही है।
उद्घाटन समारोह म उपमुख्यमंत्री और चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, उत्तर प्रदेश, ब्रजेश पाठक मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। प्रोफेसर डॉ. सोनिया नित्यानंद, कुलपति, केजीएमयू मुख्य संरक्षक थीं। कार्यक्रम में डॉ. एस.के.जिंदल पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के पूर्व प्रोफेसर और प्रमुख, और जिंदल क्लीनिक के चिकित्सा निदेशक एवं प्रोफेसर डॉ. दिगंबर बेहरा, पद्म श्री, और पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के पूर्व प्रोफेसर और प्रमुख सहित विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति का भी सम्मान किया गया। दोनों सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
इसके अतिरिक्त, आरएमएलआईएमएस लखनऊ के पूर्व निदेशक डॉ. दीपक मालवीय और एसजीपीजीआई लखनऊ में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. आलोक नाथ विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उद्घाटन समारोह में प्रोफेसर डॉ. आर.के. सिंह एम्गहूग्fग्म् ण्प्aग्rस्aह के रूप में उपस्थित थे, प्रोफेसर डॉ. राजेंद्र प्रसाद आयोजन अध्यक्ष के रूप में, और प्रोफेसर डॉ. वेद प्रकाश आयोजन सचिव के रूप में मंच पर बैठे थे।
विश्व सेप्सिस दिवस पर दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के दौरान, उपमुख्यमंत्री और चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, उत्तर प्रदेश्ी ब्रजेश पाठक ने इस कार्यक्रम के आयोजन करने के लिये पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की सराहना की। उन्होंने सेप्सिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। सेप्सिस ऐसी स्थिति जो वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के लिए एक गंभीर चुनौती है। श्री पाठक ने सेप्सिस प्रबंधन और परिणामों में सुधार के लिए चिकित्सको के बीच निरंतर सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने रोगी देखभाल में उत्कृष्टता के प्रति विभाग की प्रतिबद्धता और महत्वपूर्ण देखभाल प्रथाओं को आगे बढ़ाने में इसकी भूमिका की भी प्रशंसा की।
प्रोफेसर डॉ. सोनिया नित्यानंद, कुलपति, केजीएमयू ने सेप्सिस से निपटने में किये जा रहे प्रयासों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए अपना व्यक्तत्य दिया। उन्होंने क्षेत्र में नेतृत्व और सेप्सिस देखभाल मानकों में सुधार के प्रति समर्पण के लिए विभाग की सराहना की। प्रोफेसर डॉ. नित्यानंद ने सेप्सिस प्रबंधन में ज्ञान साझा करने और सर्वोत्तम प्रयासो के महत्व पर जोर दिया। उन्होने सम्मेलन को सहयोग को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के कौशल को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने सेप्सिस की वैश्विक चुनौती से निपटने में सभी चिकित्सकीय पेषेवरो के योगदान और समर्थन के लिए सभी प्रतिभागियों और मेहमानों के प्रति आभार व्यक्त किया।
रीजेंसी अस्पताल, लखनऊ में क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. यश जावेरी ने सेप्सिस में प्रारंभिक इलाज में फ्लूड के महत्व पर प्रकाष डाला।
कार्यक्रम में कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद, पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश, डॉ. सूर्यकांत, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, गेस्ट्रोमेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुमित रूंगटा, नेप्रâोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विश्वजीत सिंह, पीजीआई नेप्रâोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. नारायण प्रसाद समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।
शीघ्र उपचार के लिए इसके संकेतों और लक्षणों की शीघ्र पहचान महत्वपूर्ण हैः
- बुखार या हाइपोथर्मिया
- हृदय गति का बढ़ना
- तेजी से सांस लेना एवं सांस फूलना
- भ्रम या परिवर्तित मानसिक स्थिति
- निम्न रक्तचाप
- सांस लेने में कठिनाई
- अंग की खराबी के लक्षणः जैसे-जैसे सेप्सिस बढ़ता है, यह अंग के कार्य को ख़राब कर सकता है, जिससे मूत्र उत्पादन में कमी, पेट में दर्द, पीलिया और थक्के जमने की समस्या जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं।
- त्वचा में परिवर्तनः सेप्सिस के कारण त्वचा धब्बेदार या बदरंग हो सकती है, जो पीली, नीली या धब्बेदार दिखाई दे सकती है और छूने पर त्वचा असामान्य रूप से गर्म या ठंडी महसूस हो सकती है।
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणः सेप्सिस से पीड़ित कुछ व्यक्तियों को मतली, उल्टी, दस्त या पेट में परेशानी का अनुभव होता है।
- सेप्टिक शॉकः सबसे गंभीर मामलों में, सेप्सिस सेप्टिक शॉक में बदल सकता है, जिसमें बेहद कम रक्तचाप, परिवर्तित चेतना और कई अंग विफलता के लक्षण होते हैं। सेप्टिक शॉक एक जीवन-घातक आपातकाल है।
- संक्रमणः मूल संक्रमण में फेफड़ों के संक्रमण या यूटीआई के साथ मूत्र संबंधी लक्षणों के मामले में खांसी जैसे लक्षण हो सकते हैं, जो सेप्सिस में बदल सकते हैं।