नई दिल्ली। अमेरिकी रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग ने वित्त वर्ष 24 के भारत के ग्रोथ के अनुमानों को 6.3 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इस पर फिच ने कहा कि कड़ी मौद्रिक नीति और एक्सपोर्ट में कमजोरी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में लचीलापन दिख रहा है। हालांकि अल नीनो के खतरे के कारण साल के अंत में मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। अभी हाल में पहली तिमाही के जीडीपी के आंकड़े जारी हुए थे जिसमें अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी 7.8 प्रतिशत पर रही थी। इसके अलावा फिच ने कहा कि अगले वित्त वर्ष यानी एफवाय25 में विकास दर 6.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है। गौरतलब है कि दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए फिच ने विकास की गति धीमी होने की संभावना जताई है। फिच ने इसका कारण कमजोर निर्यात को बताया है। इसके अलावा, क्रेडिट ग्रोथ सपाट और उपभोक्ता आय और रोजगार की संभावनाएं भी कम रहने के आसार हैं। मूल्य के मोर्चे पर फिच ने कहा कि आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति में अस्थायी वृद्धि, विशेष रूप से बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति, परिवारों के खर्च को और कम कर सकती है। फिच ने कहा कि भारत वैश्विक आर्थिक मंदी से अछूता नहीं रहेगा और घरेलू अर्थव्यवस्था पिछले वर्ष आरबीआई की 250 बीपीएस बढ़ोतरी के विलंबित प्रभाव से प्रभावित होगी, जबकि खराब मानसून का मौसम आरबीआई के मुद्रास्फीति नियंत्रण को जटिल बना सकता है।
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