हिंदी दिवस समारोह में प्रबुद्धजनों ने रखे विचार

सोनभद्र। शहीद स्थल प्रबंधन ट्रस्ट करारी के तत्वावधान मे सोनभद्र बार एसोसिएशन के सभागार मे वृहस्पतिवार को हिंदी दिवस पर परिचर्चा व कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसका शुभारंभ अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार अजय शेखर द्वारा मां वाग्देवी के चित्र पर माल्यार्पण, कार्यक्रम के आयोजक प्रद्युम्न त्रिपाठी द्वारा मां सरस्वती की वंदना से हुआ। श्री शेखर ने अपने अध्यक्षीय भाषण मे कहां की- धाय मां प्यारी हो गई है, मां बेगानी जैसी है, हम कहां हैं वेशभूषा खानपान, शिक्षा, संस्कार, आचार-विचार से गुलाम हैं। आज हमे जागना होगा। वरिष्ठ साहित्यकार/कथाकार, संपादक असुविधा रामनाथ ‘शिवेंद्र’ हिंदी की दशा-दिशा को रेखांकित किया। विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-हिंदुस्तान के जनजन मे रची बसी हिंदी की वर्तमान समय में विश्व में हिंदी भाषा का स्थान महत्वपूर्ण हो गया है। दुर्भाग्य है कि आजादी के 75 साल बाद भी हमारी हिंदी भाषा भारत की राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई, इस दिशा में सरकार को यथाशीघ्र कार्य करना चाहिए। साहित्यकार पारसनाथ मिश्र, जगदीश पंथी, ईश्वर विरागी, अजय चतुर्वेदी ‘कक्का’, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार पाठक एड ने हिंदी की प्रासंगिकता पर अपना-अपना विचार व्यक्त किया। कवि विकास वर्मा, जयराम सोनी, प्रभात सिह ष्चंदेलष्, दिलीप सिंह ष्दीपकष्, धर्मेंश चैहान, दयानंद ‘दयालु’, राकेश शरण मिश्र, कौशल्या कुमारी चैहान, दिवाकर द्विवेदी ‘मेघ विजयगढी’, बृजमोहन तिवारी ने काव्यपाठ कर वीर रस हास्य रस, श्रृंगार रस की कविताएं सुना कर श्रोताओं को मंत्र मुक्त कर दिया। संचालन कवि अशोक तिवारी ने किया। इस अवसर पर प्रदुम्न तिवारी, मदन चैबे, आत्मप्रकाश तिवारी, सुधाकर, स्वदेश प्रेम, जयशंकर तिवारी, सरोज कुमारी, देवानंद पांडेय आदि साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।