कोरोना के दो वेरिएंट्स ने महिला को किया संक्रमित, 5 दिन में मौत

लंदन । महामारी कोरना अब अपना रुप बदल रहा है और उसके नए-नए वेरिएंट्स लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। बेल्जियम में एक महिला दो अलग-अलग वेरिएंट्स से संक्रमित पाई गई और पांचवें दिन महिला की जान चली गई। ये मामला सामने आने के बाद शोधकर्ताओं की चिंता बढ़ गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के मामले कोरोना से लड़ाई में मुश्किल और बढ़ा सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 90 साल की ये महिला एक ही समय में अल्फा और बीटा वेरिएंट्स से संक्रमित पाई गई थी। महिला ने वैक्सीन नहीं लगवाई थी और घर पर ही रहकर अपना इलाज कर रही थी। हालत बिगड़ने पर उसे मार्च महीने में ओएलवी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में महिला का कोरोना टेस्ट किया गया जिसमें उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। शुरुआत में महिला का ऑक्सीजन स्तर अच्छा था लेकिन फिर उसकी तबीयत तेजी से बिगड़ती गई और पांचवें दिन महिला की मौत हो गई। ये रिपोर्ट बताती है कि वेरिएंट्स से बचाव के लिए वैक्सीन लगवानी कितनी जरूरी है।अस्पताल के मेडिकल स्टाफ ने जब यह जानने की कोशिश की कि महिला कोरोना के किस वेरिएंट से संक्रमित हुई थी तो उसमें कोरोना के अल्फा और बीटा दोनों वेरिएंट पाए गए। अल्फा सबसे पहले ब्रिटेन में जबकि बीटा वेरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था। शोधकर्ता इस तरह के मामले को गंभीरता से लेने की सलाह दे रहे हैं।ओएलवी अस्पताल में मॉलीक्यूलर बायोलॉजिस्ट और इस मामले पर शोध करने वाली ऐनी वेंकीरबर्गन ने कहा, ‘उस समय बेल्जियम में ये दोनों वेरिएंट फैल रहे थे, संभव है कि महिला को ये दोनों वेरिएंट्स दो अलग-अलग लोगों से मिले हों। हालांकि ये अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है कि वो कैसे संक्रमित हुई।वेंकीरबर्गन ने कहा कि फिलहाल ये बता पाना भी मुश्किल है कि दो वेरिएंट्स से संक्रमित होने की वजह से महिला की तबीयत तेजी से बिगड़ी या फिर इसके पीछे कोई और वजह है। ये स्टडी फिलहाल किसी भी मेडिकल जर्नल में नहीं छपी है। इसे अब यूरोपियन कांग्रेस ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज (ईसीसीएमआईडी)को भेजा गया है। इसी साल जनवरी में ब्राजील के वैज्ञानिकों ने भी बताया था कि देश में दो लोग एक ही समय में कोरोना के अलग-अलग दो वेरिएंट्स से संक्रमित हुए हैं। हालांकि इस पर कोई स्टडी नहीं छपी थी। वेंकीरबर्गन ने कहा कि वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न की टेस्टिंग सीमित है। इसे बढ़ाने की जरूरत है ताकि वेरिएंट्स के म्यूटेशन को पहचाना जा सके। जीनोम सीक्वेंस के जरिए इसे आसानी से पकड़ा जा सकता है। वहीं शोध पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट लॉरेंस यंग ने कहा कि किसी व्यक्ति में एक से अधिक वेरिएंट्स पाया जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है।