95 वर्षीय पिता के 40 वर्षों से गुमशुदगी के बाद भी वरासत दर्ज कराने के लिए भटक रहा है पुत्र

ज्ञानपुर,भदोही।वरासत दर्ज कराने के संबंध में कमिश्नर से लेकर डीएम तक का स्पष्टआदेश है कि प्रकरण को तत्काल निपटाया जाए, लेकिन तहसीलों के जिम्मेदार वरासत प्रकरण को उतना ही लटकने में यकीन रखते हैं। तहसील ज्ञानपुर की हालत यह है कि यहां पैसा देने के बाद भी वरासत दर्ज करवाने में लोगों की चप्पल की जा रही है।आन -लाइन रिपोर्ट प्रेषित करने के बाद भी खतौनी में नाम नहीं चढ़ाया जा रहा है। मामला जनपद भदोही के सुरियांवा थाना क्षेत्र के तहसील ज्ञानपुर अंतर्गत मकनपुर रोही का है।फरियादी प्रार्थी महेंद्र उर्फ चंद्रकांत पुत्र रामकरन दूबे ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर अपने पिता रामकरन दूबे जिनकी उम्र लगभग 90 साल, जो विगत 35 साल से घर से लापता हो गए हैं। प्रार्थी की मांँ चमेला देवी और भाई लक्ष्मीकांत, श्यामधर, रवीन्द्र नाथ, सुरेंद्र और एक भाई बद्री प्रसाद मृतक भी हो गये चुके हैं। मृतक भाई की पत्नी ज्ञानदेवी और उसके तीन पुत्र संतोष, शिवकुमार और संजय है।हम सभी को पूर्ण रूप से विश्वास है कि मेरे गुमशुदा पिता की अब तक मौत हो चुकी है। लेकिन पिता जी के नाम की जमीन व अचल सम्पत्ति जो आज भी माल-कागजात में दर्ज है। जिससे हम परिजनों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि बजरिये कानून है कि दस वर्षों से अधिक समय से लापता व्यक्ति कीअचल सम्पत्ति पर वरासत उनके लीगल व कानूनी वारिस को दर्ज कर दिया जाना चाहिए था। फरियादी महेंद्र की वर्षों में आला अफसरों से वरासत के लिए गुहार लगा रहा है, लेकिन कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है, फरियादी प्रार्थी ने 95 साल से लापता पिता के नाम की अचल सम्पत्ति फरियादी परिजनों के नाम अतिशीघ्र ही वरासत के रूप में दर्ज करायें जाने  की मांग की है।